For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -दौर वह यारो गया और उसके दीवाने गए

बह्र- 2122  2122  2122  212

मीडिया की फ़ौज लेकर रह्म कब खाने गए
झोपड़ी में सिर्फ़ वे दिल अपने बहलाने गए

रेडियो से ही हुआ करती थी सुब्ह-ओ-शाम जब
दौर वह यारो गया और उसके दीवाने गए

नीम पीपल छाँछ लस्सी बाजरे की रोटियाँ
ज़िन्दगी से गाँव की ये सारे अफ़साने गए

जोड़ते थे जो दिलों को अपनी माटी से यहाँ
फ़ाग चैता और कजरी के वे सब गाने गए

पूछने पर लाल के माँ ने कहा पापा तेरे
ओढ़कर प्यारा तिरंगा चाँद को लाने गए

ख़ुद ही काले हो गए वो बात और व्यवहार से
घुस के कालिख में उसे जो साफ़ करवाने गए

झेलकर तफ़्तीश की सब दिक़्क़तें यूँ बारहा
सोचते मज़लूम हैं आखिर वे क्यों थाने गए

ख़ुद-ग़रज़ हैं लोग कितने देखिये यह बानगी
काटकर सब पेड़ उसकी छाँव सुस्ताने गए

भूक क्या इफ़्लास क्या इनसे उन्हें मतलब नहीं
रहनुमा मुफ़लिस के दर बस फ़ोटो खिचवाने गए

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 956

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 4, 2020 at 9:42pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी बढ़िया ग़ज़ल कही है।

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 3, 2020 at 9:36pm
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' सादर नमस्कार!
आज की राजनीति पर कटाक्ष करती सुंदर ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई।
Comment by नाथ सोनांचली on August 3, 2020 at 2:01pm

आद0 दण्डपाणि नाहक जी सादर अभिवादन

ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और खूबसूरत प्रतिक्रिया का हृदयतल से स्वागत है। बहुत बहुत आभार आपका

Comment by नाथ सोनांचली on August 3, 2020 at 2:00pm

 आद0 लक्ष्मण धामी "मुसाफ़िर" जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी दाद का ममनून हूँ। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on August 3, 2020 at 1:59pm

आद0 सालीक गणवीर जी सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदयतल से आभार ज्ञापित करता हूँ। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 2, 2020 at 3:43am

आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by सालिक गणवीर on July 31, 2020 at 5:28pm

भाई सुरेश नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'
सादर अभिवादन
बेहतरीन अश'आर से सजी एक उम्दा ग़ज़ल हम तक पहुँचाने के आप निस्संदेह बधाई के पात्र हैं.स्वीकार करें बंधुवर.

Comment by नाथ सोनांचली on July 31, 2020 at 12:13pm

आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर' जी सादर अभिवादन। भाई जी आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और दाद का हृदयतल से आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on July 31, 2020 at 12:12pm

आद0 डिंपल शर्मा जी सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और दाद का शुक्रियः।सादर

Comment by नाथ सोनांचली on July 31, 2020 at 12:11pm

आद0 भाई रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और दाद पाकर प्रफुल्लित हूँ। सादर आभार आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service