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होली में - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२


कोई गर रंग डाले  तो  न खाना खार होली में
भिगाना भीगना जी भर बढ़ाना प्यार होली में।१।
*
मिलन का प्रीत का सौहार्द्र का त्योहार है ये तो
न हो ताजा  पुरानी  एक  भी  तकरार होली में।२।
*
मँजीरे ढोल की  थापें  पड़ा करती हैं फीकी सच
करे पायल जो सजनी की मधुर झन्कार होली में।३।
*
जमाना भाँग ठंडायी पिलाये पर सनम तुम तो
दिखाकर मदभरी आँखें करो सरशार होली में।४।
*
चले हैं  मारने  हम  तो  दिलों  से  दुश्मनी सारी
गुलाल ओ रंग पिचकारी बना हथियार होली में।५।
*
सुखनवर हो "मुसाफिर" मत करो परहेज रंगों से
गजल लिक्खो बनाकर रंग को असआर होली में।६।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 6, 2021 at 11:14am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 6, 2021 at 11:13am

आ. भाई ब्रिजेश कुमार जी, सादर अभिवादन एवं आभार । 

Comment by Samar kabeer on April 3, 2021 at 7:36pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, रंगों में सजी अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कुछ टंकण त्रुटियाँ देख लें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 1, 2021 at 8:51pm

वाह वाह आदरणीय धामी जी..खूबसूरत रंगों से भरी ग़ज़ल...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 29, 2021 at 11:37am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन गजल पर उपस्थिति ,  सराहना, सुझाव व टंकण त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 29, 2021 at 11:35am

आ. भाई आशुतोष जी, सादर अभिवादन गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 29, 2021 at 10:57am

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, होली के मौक़े पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ।

मक़्ते में 'असआर' को अशआर' कर लें। नये जोड़े गये अशआर भी अच्छे हैं-'मोबाइल गेम चेटिंग फेसबुक कल भी रहेंगे जब' इस मिसरे में 'जब' को  'अब' करने से मिसरों में रब्त आयेगा। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 29, 2021 at 9:33am

सुधीजनों कुछ असआर और जोड़े हैं इन्हें भी देखिएगा

जमाना क्या कहेगा सोच मत बस खेल प्रीतम से
मिला है आज मौके से मिलन उपहार होली में।*।
*
मोबाइल गेम चेटिंग फेसबुक कल भी रहेंगे जब
अकेले बैठ यौवन को न कर बेकार होली में।*।
*
लगाकर रंग गालों पर गुलाबी कर दो गोरी को
तनिक दो नेह को ऐसे बलम अभिसार होली में।*।
*
बचाना वर्षभर पानी न कर संकोच इस दिन तो
भिगाने कमसिनों को फिर लगा दे धार होली में।*।
*

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2021 at 6:00pm
वाह।।बहुत उम्दा लक्ष्मण भाइजी

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