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क्षणिकाएँ -मिलावट .....

क्षणिकाएँ -मिलावट


मर गया
एक शख़्स 
खा कर
मिलावटी
जीवन रक्षक दवा
----------------------
कैसे करेंगे
देश की रक्षा
देश के नौनिहाल
पी कर दूध
मिलावटी
------------------------
ख़ूब कमाया धन
जन जन से
बेचकर सामान
मिलावटी
पर
पाप कमाया
असली
------------------------
बनावटी रिश्ते
मिलावटी प्यार
कैसे दें
असली सुगन्ध
फूल काग़ज़ के
------------------------
सच्ची  मौत
झूठा क्रन्दन
थी  मिलावट
रिश्तों में

सुशील सरना /
मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 483

Comment

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Comment by Sushil Sarna on April 9, 2022 at 1:13pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by Sushil Sarna on April 8, 2022 at 10:07pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार सर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 8, 2022 at 5:04pm
आदरणीय सुशील सरना सर, मिलावट को केंद्र में रखकर जीवन के विभिन्न आयामों को अभिव्यक्त करती सार्थक क्षणिकाओं के लिए हार्दिक बधाई. सादर.
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 8, 2022 at 11:36am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छी समसामयिक क्षणिकाएँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on April 7, 2022 at 12:28pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा और समीक्षा का दिल से आभारी है । अभी दुरुस्त करता हूँ सर । दिल से शुक्रिया सर ।
Comment by Sushil Sarna on April 7, 2022 at 12:26pm
आदरणीय मयंक जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।
Comment by Samar kabeer on April 4, 2022 at 12:07pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कुछ टंकण त्रुटियाँ देखें:-

शख्स--'शख़्स'

देश नौनिहाल--'देश के नौनिहाल'

खूब--'ख़ूब'

कागज--'काग़ज़'

Comment by Mayank Kumar Dwivedi on April 3, 2022 at 9:11am

अनुपम सृजन आदरणीय

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"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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