For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोला छंद :-

धड़की बन कर याद , सुहानी  वो  बरसातें  ।
दो अधरों की पास, सुलगती दिल की बातें ।
अनबोली  वो  बात, प्यार का बना फसाना ।
धड़के दिल के पास, मिलन का वही तराना ।
-----------------------------------------------------
दिन भर करते पाप, शाम को फेरें  माला ।
उपदेशों  के  संत, साँझ को  पीते  हाला  ।
पाखंडी  संसार , यहाँ  सब   झूठे  मेले   ।
ढोंगी करता मौज , सज्जन दु:ख ही झेले ।

सुशील सरना / 31-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 447

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 18, 2022 at 1:48pm

आदरणीय सुशील सरनाजी, 

आपके दो रोले छंद और दोनों भाव के स्तर नितांत प्रच्छन्न !

वैसे दूसरा छंद किसी अतिरेक को ही शाब्दिक कर रहा है. इस तरह के सामान्यीकरण से हमें बचना चाहिए.  

 

एक बात : 

अनबोली  वो  बात, प्यार का बना फसाना .... प्यार की बनी अफसाना .. क्यों कि बात स्त्रीलिंग है. मतलब कि, अनबोली बात ही न प्यार का अफसाना बनी है. 

सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 11, 2022 at 6:55pm

सुंदर रचना आदरणीय सुशील जी...लेकिन "दो अधरों की पास या दो अधरों के पास"

हार्दिक बधाई

Comment by Sushil Sarna on April 7, 2022 at 12:32pm
आदरणीय मयंक जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
Comment by Mayank Kumar Dwivedi on April 3, 2022 at 9:14am

सुंदर सृजन आदरणीय

Comment by Sushil Sarna on April 1, 2022 at 1:13pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन के भावों को मान देने एवं मार्गदर्शन करने के लिए दिल से आभार । सहमत एवं संशोधित ।इस हेतु
आपका दिल से आभार आदरणीय ।
Comment by Samar kabeer on April 1, 2022 at 7:16am

जनाब सुशील सरना जी आदाब, रोला छंदों का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें I 

'आ गई फिर याद --10 मात्रा -दूसरी बात 'ब्र्स्सतें' शब्द बहुवचन है इसलिए 'गई' की जगह "गईं" होना चाहिए' देखियेगा I 

' के   लगते   झूठे  मेले '--14 मात्रा -देखियेगा 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service