"ओबीओ परिवार के सभी सदस्यों को ओबीओ की 14वीं सालगिरह मुबारक हो"
ग़ज़ल
212 212 212
इल्म की रौशनी ओबीओ
रूह की ताज़गी ओबीओ (1)
तुझ से मंसूब करता हूँ मैं
अपनी ये शाइरी ओबीओ (2)
तेरे बिन है अधूरी बहुत
ये मेरी ज़िंदगी ओबीओ (3)
मेरा दिल मेरी चाहत है तू
जानते हैं सभी ओबीओ (4)
चाहने वाले तेरे मिले
हर नगर हर गली ओबीओ (5)
पेश है जन्म दिन पर तेरे
फिर ग़ज़ल ये मेरी ओबीओ (6)
साल्हा साल क़ाइम रहे
ये तेरी ताज़गी ओबीओ (7)
आज कल सख़्त बीमार हूँ
देख हालत मेरी ओबीओ (8)
तेरे कारण अदब में मुझे
कितनी इज़्ज़त मिली ओबीओ (9)
उम्र भर तेरी ख़िदमत करूँ
आरज़ू है यही ओबीओ (10)
साथ मिल कर मनाते हैं सब
जन्म दिन की ख़ुशी ओबीओ (11)
आई अब तक न कुछ भी कमी
दिलकशी में तेरी ओबीओ (12)
तेरी ख़ातिर सलामत रहे
मेरी दीवानगी ओबीओ (13)
है तमन्ना 'समर' की यही
तू जिये इक सदी ओबीओ (14)
'समर कबीर'
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
बहुत शुक्रिय: भाई मिथिलेश वामनकर जी ।
आपकी ज़िंदगी ओबीओ
मेरी भी आशिकी ओबीओ
इस समर में फले कुछ समर
ऐ समर ये खुशी ओबीओ
क्या ग़ज़ल आपने है कही
दूं बधाई यही ओबीओ
जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन !
आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।
आदाब, समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय , मंच के प्रति समर्पण की उत्कृष्ट बानगी है ! ईश्वर आपको दीर्घायुे प्रदान करे ! और, ओ.बी.ओ आपकी सरपरस्ती में ओ.बी.ओ निरन्तर ऊंचाइयाँ छूता रहे ! सादर साभार !
बहुत शुक्रिय: भाई सुशील सरना जी ।
बहुत शुक्रिय: जनाब अमीरुद्दीन साहिब ।
मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, इस शानदार मुबारकबाद के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया, उम्दा ग़ज़ल हुई है, बहुत शुक्रिया और मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।
बहुत शुक्रिय: जनाब अशोक रक्ताले जी ।
आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, बहुत ही उम्दा बधाई दी है आपने ओबीओ की सालगिरह पर. इस उत्तम प्रस्तुति के लिए ओबीओ के साथ ही आपको भी हार्दिक बधाई. सादर
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