For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ नहीं बिगाड़ सकी,
मेरा,
सिकंदर की तलवार|
हाँ,झेला है मैंने –
सेल्युकस की रार|
नादिरशाही तलवारों की –
प्यास बुझाई है|
लेकिन मेरे प्यारे पुत्रों!
आज दुहाई है|
मेरे कोख की महिमा,
भीष्म पितामह से पूछो|
शंकर के दर्शन में ढूंढो,
तारों से पूछो|
यायावर राहुल से पूछो –
तुम्हे बताएँगे|
गंगा से वोल्गा तक,
सारा दृश्य दिखायेंगे|
फिर देखो मटमैली मेरी –
राम कहानी रे|
सत्युग से पापों को धोता आया –
पानी रे|
आज नहीं मुझमे जल है,
मैं गंगा हूँ,
मुझमे मल है|
हाय रे गीता,हे गोविंदा!
कैसी गंगा?
अब अवजल है|

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 10:16am

बहुत ही ओजस्वी कविता,आदरणीय मयंक जी.

आज नहीं मुझमे जल है, मैं गंगा हूँ, मुझमे मल है| हाय रे गीता,हे गोविंदा! कैसी गंगा? अब अवजल है|

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 6, 2012 at 9:53pm

सत्युग से पापों को धोता आया –
पानी रे|
आज नहीं मुझमे जल है,
मैं गंगा हूँ,
मुझमे मल है|
हाय रे गीता,हे गोविंदा!
कैसी गंगा?
अब अवजल है|

स्नेही मयंक जी , सादर  ,  सुन्दर वाह क्या लिखा है, बधाई. लोग अभी इसका महत्त्व नहीं समझ रहे हैं, हलके में ले रहे हैं अब भी चेत जाएँ. 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 6, 2012 at 11:15am

यथार्थ और मर्मस्पर्शी  रचना पर बधाई स्वीकार करें सर

Comment by Arun Sri on April 6, 2012 at 10:01am

शब्दातीत अनुभूति !!!!!!!!!!!!

NO COMMENT.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2012 at 8:39am

गंगा का प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है यह एक ज्वलंत चिंता का विषय है आपने गंगा के मन के दर्द को बहुत अच्छे शब्दों में ढाला है सराहनीय है 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 6, 2012 at 8:09am
मनोज जी, आपने भी क्रंदन कर दिया 
गंगा जी का रुदन हमारी झोली में भरा दिया! 
आप ही जब ऐसे आंसू बहायेंगे, 
भला पापियों का नाश कैसे कर पाएंगे?
आपके सम्मान में
Comment by आशीष यादव on April 6, 2012 at 6:59am
एक सुन्दर रचना। गङ्गा की दुर्दशा सच मे आज देखी नही जाती।
एक जोरदार रचना हेतु बधाई
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 6, 2012 at 3:41am

......................निःशब्द मनोज भाई!!!!!!

Comment by अश्विनी कुमार on April 5, 2012 at 11:16pm

भाई क्या बात है धुवांधार बाउंड्री .........जय भारत :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service