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संवेदनाओं की गहरी
-जड़ों पे टिके
अभिव्यक्ति के विशाल वृक्ष पे
भावनाओं की विस्तृत साखें
स्मृतियों के हरे भरे सब्ज पत्ते
आशाओं की उद्दीप्त नवल कोपल
और लटकते हैं
कडवे मीठे शब्द
कच्चे ,अध् पके ,अध् कच्चे
और कभी कभी पके शब्द
नीम नीम
या
शहद शहद
लज्ज़त लेने को
चख लेता हूँ
शब्द शब्द
अभिव्यक्ति के दरख्त पे
शब्द शब्द

संदीप पटेल "दीप"

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 17, 2012 at 2:53pm
 वाह! बहुत सुन्दर !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 17, 2012 at 1:11pm

संवेदनाओं की गहरी
-जड़ों पे टिके
अभिव्यक्ति के विशाल वृक्ष पे
भावनाओं की विस्तृत साखें
स्मृतियों के हरे भरे सब्ज पत्ते 
आशाओं की उद्दीप्त नवल कोपल
और लटकते हैं
कडवे मीठे शब्द----हार्दिक बधाई  बहुत सुन्दर शब्द कच्चे नहीं पके हुए स्वादिष्ट 

Comment by AVINASH S BAGDE on August 17, 2012 at 12:19pm

संवेदनाओं की गहरी
-जड़ों पे टिके
अभिव्यक्ति के विशाल वृक्ष पे
भावनाओं की विस्तृत साखें
स्मृतियों के हरे भरे सब्ज पत्ते 
आशाओं की उद्दीप्त नवल कोपल...KYA SHABD-CHAYAN HAI SANDEEP IS UMDA RACHANA HETU...WAH!

Comment by Rekha Joshi on August 17, 2012 at 11:54am

नीम नीम
या
शहद शहद
लज्ज़त लेने को
चख लेता हूँ
शब्द शब्द 
अभिव्यक्ति के दरख्त पे 
शब्द शब्द ,अति सुंदर अभिव्यक्ति ,संदीप जी , नीम नीम ,शहद शहद ,कडवे मीठे शब्द 

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