For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मतगयंद (मालती)सवैया. (भगण x 7 अंत में दो गुरु) एक प्रयास

सूरज ताप बढ़ाकर जो मरुभूमि धरा पर दृश्य दिखाता,

मानव अक्सर जीवन में यह रीत मिसाल बना भरमाता,

भाग रहा वह तेज भयंकर झूठ कहे फिर भी अपनाता,

हाथ न आय तहाँ वह रोकर व्याकुल नीर बहा पछताता/

Views: 1431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 15, 2012 at 7:06pm

विनीता जी

                सादर, धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 15, 2012 at 7:02pm

आदरेया राजेश कुमारी जी   

                           सादर, सवैये के प्रयास पर आपसे बधाई पाकर प्रसन्नता हुई. आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 15, 2012 at 7:01pm

आदरणीय सौरभ जी

                    सादर प्रणाम, आपने मेरे सवैये के प्रयास पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रया से मन हर्षित है. आपका कोटिशः धन्यवाद.

Comment by Vinita Shukla on October 15, 2012 at 12:55pm

सुन्दर प्रयास. बधाई सार्थक प्रस्तुति पर.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 15, 2012 at 11:47am

आपका स्वागत है आ० अशोक जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 15, 2012 at 9:08am

अशोक कुमार रक्ताले जी बहुत ही सार्थक मतगयंद सवैया लिखी हैं बहुत बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2012 at 8:05am

सूरज ताप बढ़ाकर जो मरुभूमि धरा पर दृश्य दिखाता,
मानव अक्सर जीवन में यह रीत मिसाल बना भरमाता, ...

वाह वाह ! प्रकृति की लीलाएँ और मनोवैज्ञानिक प्रभाव का सुन्दर चित्रण करते पंक्तियों के लिये हृदय से बधाई. भाई अशोकजी, आपके प्रस्तुत प्रयास और प्रस्तुति को मैं हृदय से स्वीकार करता हूँ. 

हार्दिक शुभकामनाएँ. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 15, 2012 at 7:50am

आदरेया सीमा जी   

             सादर, आपसे सराहना पाकर प्रसन्नता हुई. यह अवश्य ही मेरे लिए प्रेरणादायी रहेगी. आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 15, 2012 at 7:48am

आदरणीय अमबरीश जी

                    सादर प्रणाम, सवैये के भाव पर आपका स्नेहाशीष पाकर प्रसन्नता हूँ. आभार.

Comment by seema agrawal on October 14, 2012 at 9:38pm

 सत्य का ज्ञान होते हुए भी मृगमरीचिका में फंसते  इंसान की स्थिति को सफलता पूर्वक दर्शाते छंद के लिए बहुत बहुत बधाई अशोक जी 

शब्द संयोजन बहुत प्रभावशाली और प्रवाहपूर्ण है  है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
7 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
9 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर खुशी हुई। हार्दिक आभार आपका। बहुत बहुत…"
10 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय वामनकर सर,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सर्जन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार।🙏"
12 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय गणेश बागी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार। जो बात आदरणीय तिलकराज कपूर जी ने कही है उस पर…"
17 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह,वाह,पर्यावरण पर बेहतरीन ग़ज़ल। बधाई हो आद. धामी जी।"
20 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण की चिंता में कही गयी लाजवाब ग़ज़ल आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी। हार्दिक बधाई।"
22 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपने जो बात कही उस पर ध्यान दूंगा। सुझाव के लिए हार्दिक आभार।"
23 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर मेरी प्रस्तुति को मान देकर उत्साहवर्धन हेतु आपका दिल से आभार। 🙏"
24 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय डॉ. प्राची सिंह जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
26 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, आपकी टिप्पणी का स्वागत। प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
28 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service