नव रात्री नव रात है,नव जीवन संदेश/
तन मन भवन शुद्ध रखो,आये माँ किस भेष//
भक्तगण नव रात्री में,रखते हैं उपवास/
कन्या पूजन भी करें,माँ का यही निवास//
देखो कैसे सज रहा,माता का दरबार/
माँ के दर्शन को लगी,लम्बी बहुत कतार//
जयकारों से मात के,गूंज रहा दरबार/
माता का आशीष ले,पायें शक्ति अपार//
गरबा रमती मात है,चहुँ दिसि उत्सव होय/
भक्त यहाँ सुख पात हैं,सबके मंगल होय//
हवन अरु जागरण करे,नवरात्री सब लोग/
देती माँ आशीष जो,मिटे क्लेश सब रोग//
धन धान्य और सम्पदा,वैभव खिल खिल जाय/
निश दिन पूजे मात को,सब सम्भव हो जाय//
Comment
सुन्दर
नवरात्रि के सुन्दर अवसर पर, भक्ति का रंग घोलने वाले भावसिक्त दोहे. बधाई अशोक जी.
धन धान्य और सम्पदा,वैभव खिल खिल जाय/
निश दिन पूजे मात को,सब सम्भव हो जाय//
बहुत सुन्दर दोहे रचे है,आदरणीय अशोक जी ,हार्दिक बधाई
आदरणीय खान साहब,
सादर नमस्कार, आपसे स्नेहाशीष पाकर मन गदगद हुआ. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय लड़ीवाला जी, आ. संदीप जी, आद. राजेश कुमारी जी आप ने दोहों को पसंद किया. आप सभी का हार्दिक आभार.
आप सभी को एवं समस्त मंच के सदस्यों को नवरात्रि कि हार्दिक शुभकामनाएं.
आदरणीय रविकर जी
सादर नमस्कार, दोहों पर आपकी मुहर पाकर बहुत प्रसन्नता हुई. धन्यवाद.
Ashok ji aadab, navratri par apke dwara rachit dohe ati uttam hain. badhai swikar karein.
अशोक कुमार रक्ताले जी बहुत सुन्दर उत्कृष्ट दोहे कहे हैं बहुत बहुत बधाई नवरात्र की शुभकामनाएं
आदरणीय अशोक सर जी सादर प्रणाम
बहुत सुन्दर दोहे रचे हैं आपने शारदीय नवरात्र की शुभकामनाओं सहित बहुत बहुत बधाई आपको
नव रात्री नव रात है,नव जीवन संदेश/
तन मन भवन शुद्ध रखो,आये माँ किस भेष//
सुन्दर दोहे सुंदर संदेश्त्मक भाव नव रात्र स्थापना के प्रथम दिन उपलब्ध करने हेतु धन्यवाद और हार्दिक बधाई श्री अशोक रक्ताले जी
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