For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये,

बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये,

 

लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,

रेत में सूखा घना जंगल बनाये,

 

जान के दुखती रगों को छेड़कर,

दर्द की थोड़ी बहुत हलचल बनाये,

 

पास रखना है मुझे हर हाल में,

आँख का सुरमा कभी काजल बनाये,

 

दौर आया मुश्किलों की ओढ़ चादर,

और वो पत्थर मुझे दलदल बनाये,

 

मैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,

दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,

 

जान लो वो मार देगा जान से जो,

चासनी लब पर रखे हरपल बनाये....

Views: 447

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 5:07pm

आदरणीय संदीप भाई सादर,
बधाई हेतु अनेक-2 धन्यवाद मित्र,
मित्र आप सत्य कह रहे हैं मैं कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी कर जाता हूँ, यही कारण है खामियां रह जातीं हैं, आपके द्वारा दिए गए निर्देश का मैं अवश्य पालन करूँगा, कल से दुबारा वीनस भाई के द्वारा बताये गए ग़ज़ल के नियम को पुनः पढ़ रहा हूँ. आशा करता हूँ की आगे आप सभी को निराश न करूँ. सादर अरुन शर्मा

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2012 at 4:58pm

आदरणीय अरुण जी सादर
बधाई आपको इस ग़ज़ल पर , किन्तु 
इस बार कहन कमजोर सी लगी गुरुजन अपनी कीमती राय अवश्य देंगे
आशा है आप भी मेरे तरह जल्दबाजी को छोड़ संयम रखना शीघ्र ही आत्मसात करेंगे 
उससे बहुत सी बातें स्पष्ट हो जाती है
जैसे आदरणीय वीनस जी ने मुझे एक मोबाइल काल के वार्तालाप के समय कहा 
अपनी रचना को बार बार पढ़ के देखें बहर औ वजन खुद ब  खुद संयत हो जायेगा
ख्याल शब्दों में ऐसे बंधे के सब समझ में आये की आप क्या कहना चाहते हैं
बस जी हो गया
शुभकामनाओं सहित

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 3:55pm

आभार आदरणीय गणेश सर अदायगी को रवां करने की कोशिश जारी है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 13, 2012 at 3:47pm

सुन्दर कहन अरुण जी , जरा अदायगी पर ध्यान दें , बातें स्पष्ट होनी चाहिए | बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 3:16pm

शुक्रिया श्याम सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 3:16pm

धन्यवाद अजय सर

Comment by Shyam Narain Verma on December 13, 2012 at 3:10pm

BAHOT KHOOB

 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 13, 2012 at 1:35pm

gajal badia he badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुकला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service