For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय प्राची जी के कहने और भ्राताश्री अम्बरीश जी के द्वारा दिए गए दोहों के नियमों को पालन करते हुए, दोहे लिखने का मेरा प्रथम प्रयास है आप सभी को सादर समर्पित आप सभी के सहयोग की आकांक्षा लिए अरुन शर्मा.

 

आनन फानन में किया, दोहों का निर्माण।

मुझसे मेरी प्रियतमा, मांगे प्रेम प्रमाण।।

 

हाँथ जोड़ द्वारे खड़ा, माते जाओ जाग।

शिष्य मुझे स्वीकार के, खोलो मेरे भाग।।

 

पत्थर जोड़े घर बने, पत्थर गढ़े भगवान।

अपनी-अपनी सोंच में, आगे हर इंसान।।

 

दोहों का भोजन करूँ, दोहों से जलपान।

दोहे मेरी जिंदगी, दोहे मेरी जान।।

 

माँ तेरे विरह में, चुपचुप रहते तात।

आभाषित होता मुझे, दिन भी जैसे रात।।

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 14, 2012 at 11:34am

आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी स्नेह व आशीष यूँ ही बनाए रखियेगा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 13, 2012 at 8:16pm

प्रिय अरुण दोहों पर आपका प्रयास सराहनीय है बाकी प्रिय प्राची और सीमा जी की बात का अनुमोदन करती हूँ आप बहुत जल्दी दोहों में निपुण हो जाओगे |

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 3:15pm

आदरणीया सीमा दी काफी त्रुटियाँ हैं फिर भी आप सभी ने जो मेरा हौंसला बढ़ाया है मैं सदैव कृतज रहूँगा अनेक-2 धन्यवाद.

Comment by seema agrawal on December 13, 2012 at 2:41pm

आनन फानन में किया, दोहों का निर्माण।

मुझसे मेरी प्रियतमा, मांगे प्रेम प्रमाण।।........हा हा हा अरुण सच में ये निर्माण आनन् -फानन ही लग रहा है आपकी ग़ज़लों में जिस प्रकार की विचारशीलता मिलाती है वो इनमे नहीं है ...पर एक बात की बधाई दूँगी कि शिल्प की दृष्टि से दोहे १००% न सही पर ९०% तो खरे हैं और यह आश्वस्ति है इस बात की कि आपका यह प्रथम प्रयास सही दिशा में है 

दोहों की विशेषता उसका कथ्य ही है  किसी कथ्य  पर बहुत विचार करने  के पश्चात उसे दोहों में अनुवादित करिए कथ्य स्वयं में सम्पूर्ण होना चाहिए 

दोहे ऐसे बांधिए जैसे सुरभित फूल l

ईश चरण वंदन करे, भाव लिए अनुकूल

 

 

शुभकामनाएं ........

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 1:48pm

आदरणीय सर सत्य कहा है आपने इन सभी को सुधारने कर पुनः प्रयास करता हूँ आभार.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 1:47pm

आदरणीया प्राची जी तहे दिल से आभार आपका सत्य है काफी त्रुटियाँ है खास कर मात्रा गणना में, अगली बार और अधिक मेहनत करूँगा. सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 13, 2012 at 10:21am
प्रथम प्रयास में सुन्दर सटीक दोहे रचने पर बड़ी खुश मिली, कुछ त्रुटिया मात्रा गिनने की और डॉ प्राची जी 
ने इंगित कर दिया है, सुधार करले \ प्रथम प्रयास पर हार्दिक बधाई और शुभ कामनाए -
 

आनन् फानन में किया, दोहों का निर्माण,

गुरूवर ही अब दे तुम्हे, सफलता का प्रमाण ।
 
पढ़कर मन प्रसन्न हुआ, अनंत ख़ुशी मनाय,
दोहे तेरी जिन्दगी,   दोहे भाग्य जगाय  ।  

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 13, 2012 at 10:11am

प्रिय अनुज अरुण,

दोहों कर किया गया प्रथम प्रयास मुग्धकारी है,

दोहों का भोजन करूँ, दोहों से जलपान।

दोहे मेरी जिंदगी, दोहे मेरी जान।।...............विधा विशेष के प्रति इतना  प्रेम प्रथम प्रयास में मुग्ध कर रहा है.

 

आनन फानन में किया, दोहों का निर्माण।

मुझसे मेरी प्रियतमा, मांगे प्रेम प्रमाण।।......दोहा निर्दोष है , पर क्या दोनों पदों के कथ्य में कोई सामंजस्य है??

 

हाँथ जोड़ द्वारे खड़ा, माते जाओ जाग।

शिष्य मुझे स्वीकार के, खोलो मेरे भाग।।....... माता को जगा कर शिष्य बनाने का निवेदन, जबकि माँ तो होती ही प्रथम गुरु है 

 

पत्थर जोड़े घर बने, पत्थर गढ़े भगवान।...सम चरण की मात्रा गणना पुनः करे.

अपनी-अपनी सोंच में, आगे हर इंसान।।.....सोंच   है या सोच ?

 

माँ तेरे विरह में, चुपचुप रहते तात।...........विषम चरण की मात्रा  गणना पुनः करे.

आभाषित होता मुझे, दिन भी जैसे रात।।........आभासित लिखना चाहते हैं, टंकण त्रुटि सुधार लें.

इस प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई, जल्दी ही आप बिलकुल शुद्ध दोहे लिखें ऐसी शुभकामनाएं हैं.

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
33 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
42 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service