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बुन्देलखंडी लोकगी "बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ"

दोस्तों इक बुन्देलखंडी लोकगीत लिखने का प्रयास किया है 
आप सभी से स्नेह की आशा है 

बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ
नैयाँ इतनी कमाई मैं का करूँ 

पाला पड़ो है जम के भैया 
फसल अकड के लैय जम्हैया 

खितवा सादा उगाई मैं का करूँ 
बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ

बिना खाद के फसल न होय 
खाद के लाने सबरे रोये 

इल्ली नींद उड़ाई मैं का करूँ 
बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ

जस तस काटी फसल बिचारी 
मंडी में हुई मारा मारी 

आजहूँ नहीं बिक पाई मैं का करूँ 
बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ

लड़का बोले कपडा ले आओ 
दद्दा बोले सौदा ले आओ 

अम्मा मांगे दवाई मैं का करूँ 
बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ

दो की चीज़ भई है दस की 
कीमत नैयाँ अपने बस की 

कैसे होय कमाई मैं का करूँ 
बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ

कितने बरस से कछु ने लाये 
झूठे सपने काहे दिखाए 

मांगे जबाब लुगाई मैं का करूँ 
बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ

संदीप पटेल “दीप

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Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2013 at 8:21pm

बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है, भाई संदीप जी. विवश समाज की दशा को उभारती और साझा करती रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 4, 2013 at 9:04am

आदरणीय संदीप जी  सादर, सुन्दर बुन्देलखंडी लोकगीत पर बधाई स्वीकारें.कुछ वर्ष पहले  दोपहर में आद. सुन्दरलाल विश्वकर्मा जी के बुन्देलखंडी लोकगीत आकाशवाणी जबलपुर पर बहुत सुनने मिलते थे.सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2013 at 1:25pm
बहुत अच्छा प्रयास भाई संदीप कुमार पटेल जी, बधाई हो 
आज ही कुछ लादो भैया 
और बढ़ेगी महंगाई भैया 
 
फिर कहोगे अकड़ के भैया 
बैरन हुई महंगाई मै का करूँ 
 
बहाने बाजी और करों न भैया 
ढीला करों एंटी से रुपैया 
 
क्यू मुझको सताए जात हो भैया 
कछु भी न रहा सम्मान मई का करू 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2013 at 12:33pm
अकड़ पढ़ें प्लीज 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2013 at 12:32pm

पाला पड़ो है जम के भैया 
फसल अकड के लैय जम्हैया ----

हाहाहा क्या चित्र उकेरा है प्रिय संदीप ,वैसे अकाद के तो मर ही जायेगी बेचारी कहाँ सो पाएगी 

 कितने बरस से कछु ने लाये 
झूठे सपने काहे दिखाए 

मांगे जबाब लुगाई मैं का करूँ 
बैरन हुई मँहगाई मैं का करूँ------

वो तो पूछेगी ही जरूर झूठे सपने दिखाए होंगे ,वाह मजा आ गया ये अलग सी रचना पढ़ के हार्दिक बधाई इस बढ़िया प्रस्तुति हेतु 

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