For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सॉहब गान (जन हित मे जारी)

सर आप महान है

हम आपकी संतान है

आप हमारे राजा राम

हम आपके हनुमान है

सर आप महान है

आपके अधीनस्थ है यही अभिमान है

खुफिया है आपके, आपके ही कान है

आपकी खुराक का हमे पूरा घ्यान है

आप हमारे सेनापति हम आपके जवान है

सर आप महान है

आपके के कारण कार्यालय का नाम है

आपकी कार्यशैली का सब करते गुणगान है

बड़े बड़ों नेताओं से आपकी पहचान है

सबने माना लोहा आपका, आप विभाग की शान है

सर आप महान है

आप खाते है खिलाते है ऊपर पहुँचाते है

तभी तो ऊपर से आप पॉवर ले आते है

जिससे भय हो, उसे बना लेते अपना

राम नाम जपना पराया माल अपना

छवि आपकी उजली रहे,आप करते खूब दान है

सर आप महान है

नियम कायदों के आप है, पुजारी

लक्ष्मी के आदेश पर करते कारगुजारी

ऊँची पहुँच की रहती खुमारी

इसलिए चलती है आपकी रंगदारी

हम है राग बेसुरे आप सुरीली तान है

सर आप महान है

काजू के बिस्कुट, खाता रहे आपका टौमी

मार्बल ग्रेनाइट की बनायें आप बामी

भ्रष्ट्रचार की मशाल आपने थामी

अपने कारनामो से ले आयें सुनामी

अफसरी का आपको मिला बरदान है

सर आप महान है

मुझमें व् ,टौमी में नहीं करना भेद

आज काली करतूतें ही होती सफ़ेद

खुल जाये कलई तो जता दीजे खेद

लगे रहिये साहब क्योंकि तंत्र में है छेद

निर्भय बिंदास हो आप अपना कीजे उत्थान है

सर आप महान है

Dr.Ajay Khare Aahat

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on February 15, 2013 at 2:07pm

sadhubaad Dr Prachi


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 13, 2013 at 8:59pm

साहबगिरी पर बहुत सुन्दर रचना आ. डॉ. अजय जी , सादर.

Comment by Dr.Ajay Khare on February 13, 2013 at 4:09pm

sandeep ji mujhme aap jesi sahitya ki samajh to nahi jo dil ko chuta hai vhi sabdo mai piro deta hu aapko achha laga bas mere vhabo ko par lag gaye bahut bahut sadhubaad

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 13, 2013 at 12:11pm
वाह वाह सर जी ......................सच से सामना कराती हुई बेहतरीन रचना 
अंतर्मन को झकझोर के रख देती है ये अभिव्यक्ति 
बहुत बहुत बधाई आपको 

 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 13, 2013 at 11:38am

sabhi adarniy ko sadhubaad 

Comment by vijay nikore on February 13, 2013 at 4:14am

आदरणीय अजय जी,

सुन्दर व्यंग्य के लिए बधाई।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 12, 2013 at 11:18pm

डॉ. अजयजी, आपका तंज सीधे दिल में उतर रहा है. संभवतः आपकी कोई पहली कविता है जो मुझे एक पाठक के तौर पर देर तक झकझोरती रही.

जिस बेबाकी से आपने कथ्य साझा किये हैं वह आपके रचनाकार की तिलमिलहट को दर्शाता है.  इस व्यंग्य रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ.

Comment by ram shiromani pathak on February 12, 2013 at 7:39pm

मुझमें व् ,टौमी में नहीं करना भेद

आज काली करतूतें ही होती सफ़ेद

खुल जाये कलई तो जता दीजे खेद

लगे रहिये साहब क्योंकि तंत्र में है छेद

निर्भय बिंदास हो आप अपना कीजे उत्थान है

सर आप महान है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

आप भी कुछ कम नहीं सर जी ....उत्तम अति उत्तम रचना  ...........

Comment by Abhinav Arun on February 12, 2013 at 1:36pm

क्या कहूं डॉ अजय जी वाह वाह शानदार व्यंग्य कविता . आनंद आ गया आपकी बेबाक बयानी और साधा अंदाज़ बधाई बहुत अभूत इस अदभुत  रचना के लिए !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service