For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुप्रभात दोहे 2.

सुबह सुहानी आ गई  ,लेकर शुभ सौगात |
अधर पर मुस्कान लिए, प्यार बसे दिन रात||

पूरे हों सपने सभी ,रहो न उनसे दूर |
गम का ना हो सामना ,ख़ुशी मिले भरपूर||

तारे सारे छुप गए ,आई प्यारी भोर |
आँगन खुशिओं से भरे ,मनवा नाचे मोर||

सुखद सन्देश जो मिले ,अधर आय मुस्कान| 
खुशिओं से हो वास्ता ,मिले हमेशा मान||

पुष्प सी मुस्कान लिए ,रहो हमेशा पास |
होना ना उदास कभी क्योंकि आप हो ख़ास||

रविवार का दिवस अभी ,करलो आज विश्राम| 
बाकी कल सब देखना,रह गय हैं जो काम||

रविवार का दिवस गया, छोड़ो अभी विश्राम| 
पूरे करलो अब सभी, छूट गए जो काम||

भोर सुहानी दे गई ,खुशिओं का पैगाम |
हर दिन ही लाये ख़ुशी ,करलो ऐसे काम ||

         ...........मौलिक व अप्रकाशित ...............

Views: 3792

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on July 5, 2013 at 8:45pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 5, 2013 at 7:53pm
आदरणीया..सरिता जी, बिल्कुल सुबह की तरह सुप्रभात दोहे की सुंदरता व सहजता.."".तारे सारेछुप गए ,आई प्यारीभोर | आँगन खुशिओं से भरे ,मनवा नाचे मोर||

सुखदसन्देश जो मिले ,अधरआय मुस्कान| खुशिओं से होवास्ता ,मिले हमेशा मान||

पुष्प सी मुस्कान लिए ,रहो हमेशापास | होना ना उदास कभी क्योंकि आप होभा ख़ास||"".....आदरणीया..भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई
Comment by बृजेश नीरज on July 5, 2013 at 6:35pm

आपके इस प्रयास पर आपको ढेरों बधाइयां। सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2013 at 5:32pm

प्रिय  सरिता जी वाह बहुत सुन्दर भाव पूर्ण दोहों पर प्रयास किया है  बाकी प्रिय प्राची जी के कहने के बाद कुछ नहीं रह जाता कहने के लिए ,बहुत बहुत बधाई स्वीकारें 

Comment by Sarita Bhatia on July 5, 2013 at 10:21am

आदरणीय रविकर जी बहुत खूब शुक्रिया sir आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 5, 2013 at 10:10am

आ० सरिता भाटिया जी 

बहुत सुन्दर सुकोमल भाव संजोये सुप्रभात के सुन्दर दोहों के लिए बहुत बहुत बधाई 

आपने दोहा छंद के शिल्प का निर्वहन करने का अच्छा प्रयत्न किया है, किन्तु निम्न दोहों पर गौर कीजिये 

सुखद सन्देश जो मिले ,अधर आय मुस्कान|..विषम चरण में गेयता बाधित है इसे यदि (सुखद मिले सन्देश जो)ऐसे किया जाए तो?
खुशिओं से हो वास्ता ,मिले हमेशा मान||.....वास्ता(२२)...विषम चरण का अंत सदैव १२ या १११ से ही किया जाता  है 

रविवार का दिवस अभी ,करलो आज विश्राम|..... विश्राम की गणना =(वि+आधा श् =२)+(रा =२)+(म=१)=५ होगी, आपने इसे ४गिना है...संयुक्त अक्षरों की मात्रा गणना करते वक्त संयुक्त अक्षर से पहले वाले वर्णाक्षर में आधा संयुक्ताक्षर जोड़ दिया जाता है.
बाकी कल सब देखना,रह गय हैं जो काम||

प्रयासरत रहें, गेयता और गणना सभी धीरे धीरे सधते जायेंगे 

बहराल यह बहुत सुंदर प्रयास हुआ है , आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं 

सादर

Comment by रविकर on July 5, 2013 at 8:31am

यह परिवर्तन कैसा है आदरेया ?

क्या आदरणीय अजय जी संतुष्ट हैं-

सुबह सुहानी आ गई, लेकर शुभ सौगात |
अधरों पर मुस्कान धर, प्यार बसे दिन रात||

पूरे हों सपने सभी , मत रह उनसे दूर |
गम का ना हो सामना ,ख़ुशी मिले भरपूर||

तारे सारे छुप गए , आई प्यारी भोर |
आँगन खुशियों से भरे, मनवा नाचे मोर||

सुखद मिले सन्देश जो, अधर आय मुस्कान|
खुशिओं से हो वास्ता ,मिले हमेशा मान ||

लिए पुष्प-मुस्कान शुभ, रहो हमेशा पास |

मत उदास होना सखी , हो तुम बेहद ख़ास ||

दिवस आज रविवार का, करो मित्र विश्राम|
बाकी कल सब देखना, बचे रहे जो काम||

बीत चुका रविवार जब, त्याग तुरत विश्राम|
पूरे करलो अब सभी, छूट गए जो काम||
भोर सुहानी दे गई ,खुशिओं का पैगाम |
हर दिन ही लाये ख़ुशी ,करलो ऐसे काम ||

Comment by Sarita Bhatia on July 4, 2013 at 11:33pm

आदरणीय रविकर sir ,हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on July 4, 2013 at 11:33pm

नमस्कार आदरणीय अजय शर्मा जी 

आपने ज्यादा जो शब्द सुझाये हैं वोह मात्रा गणना को बिगाड़ रहे हैं 

आपने समय दिया इसके लिए शुक्रिया sir 

Comment by ajay sharma on July 4, 2013 at 10:35pm

सुबह सुहानी आ गई  ,लेकर शुभ सौगात |
अधर पर मुस्कान लिए, प्यार बसे दिन रात||       "adharo pe muskan liye" could be more rythemic 

पूरे हों सपने सभी ,रहो न उनसे दूर |
गम का ना हो सामना ,ख़ुशी मिले भरपूर||

तारे सारे छुप गए ,आई प्यारी भोर |
आँगन खुशिओं से भरे ,मनवा नाचे मोर||        " aangan bhar khushiya,n mile" in my opinion  

सुखद सन्देश जो मिले ,अधर आय मुस्कान|     sukhad sandesh"a" jo mile 
खुशिओं से हो वास्ता ,मिले हमेशा मान||

पुष्प सी मुस्कान लिए ,रहो हमेशा पास |          "phulo,n ki muskan liye" 
होना ना उदास कभी क्योंकि आप हो ख़ास||         hona kabhi udaas mat kyonki tum ho khas ------tum ka priyog zyada        

                                                             apnatva padarshit karta hai    

रविवार का दिवस अभी ,करलो आज विश्राम|     ravivaar ka divas hai kar lo tum vishram 
बाकी कल सब देखना,रह गय हैं जो काम||         baaki kal sab dhekhna , rah jaye jo kaam 

भोर सुहानी दे गई ,खुशिओं का पैगाम |    

हर दिन ही लाये ख़ुशी ,करलो ऐसे काम ||     wah wah wah

         ...........मौलिक व अप्रकाशित ...............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
12 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service