For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खनखनाता रुपैया मेरे देश का --

मेरे आजाद देश की  

बेहतरीन खिलाडी

बिना डोपिंग परिक्षण के, 

महंगाई हो गई है

दौड़ती है सबसे आगे

तेज धावक की तरह

मारती है सबसे ऊँची

छलांग

पहुंचना चाहती है

सबसे पहले  

बाहरवें आसमान|

और रुपया बेचारा

मुंह उतारे

लुढ़क रहा है नीचे नीचे

अपना ही बाजार सौतेला हो गया जिसके लिए

जैसे इस मंडी से नाराज  

वह मुंह छुपाना चाहता हो

प्रचलन से बाहर किसी तरह से

निकल आना चाहता हो

वह गिरा जो तो गिरा

लुढकता जा रहा है ............................

बेचारा करे भी तो क्या,

साजिशों के तहत

काला बाजारी का धन हो गया है

विदेशों में जा कर तिजोरियों में बंद हो गया है ...

मल्टीनेशनल कम्पनियों का राज हो गया है

पेटेंट विदेशीयों का उत्पाद हो गया है

मिलावट ने रही सही रूपये की टांग तोड़ दी है

घोटालों पे घोटालों की आदत,

नेताओं में आम हो गयी है .....

जाति भाषा भेदभाव की

भ्रष्टाचार व  वोट की कूटनीति की  

नैतिकता गुलाम हो गयी है  ...........

 

ठन से खनकता रुपया

अब किसकी जेब में खनखनायेगा

दो जून की रोटी के लिए

किस किस को ललचाएगा ...

जब डाल डाल पर

बसती थी सोने की चिड़िया

गए दिनों की बात और मात्र किस्सागोई है  

 

पर नहीं मांगता देश अब

वह सोने की चिड़िया 

बस मांगता एक ऐसा यंत्र

एक उपाय एक अटूट मन्त्र

जैसे कह सके  वह भी

बहुत हो गयी अब

अब खुल जा रे सिमसिम

और खुल जाये तिजिरियों के बंद ताले

मिटा के कड़े प्रतिरोधों के जाले

वापस आये देश में

देश से लुटा गया धन,

ले कर के हरियाली

चेहरे चेहरों पे खुशहाली .......

 

उपाय बीजमंत्र की  

बस शर्त  इतनी सी है

नैतिक मूल्यों का हो चयन   

ठोकर पर रख दें हर कोई   

भ्रष्टाचार कालाबाजारी

रिश्वतखोरी की बीमारी|

धन्यधान्य हो देश  

और फिर मिले सबको

शिक्षा रोजगार ज्ञान

रोटी कपड़ा और मकान......

जनजन गौरव से कह सके  

अपना देश महान ................................... ~nutan~

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 2:14pm

आज की सर्वाधिक विकराल समस्या अपने अर्थतंत्र में मची छटपटाहट है. आपने इस समस्या को संवेदना से उभारा है, डॉ. नूतन.

बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 18, 2013 at 6:38pm

सुंदर व् सटीक रचना पर हार्दिक बधाई ,स्वीकार करें, आदरणीया नूतन जी

Comment by रविकर on August 17, 2013 at 5:27pm

सटीक विश्लेषण-
शुभकामनायें आदरेया-

कौआना सरकार का, मुद्रा में विश्वास |
देशी मुद्रा चल बसी, चलो जलाओ लाश |


चलो जलाओ लाश, ताश का महल ढहाया |
चन्द्र गुप्त को पाठ, नया कौटिल्य पढाया |


नहीं हुआ बर्दाश्त, आज डालर का हौवा |
सुनो मराठी बोल, बोलता देशी कौआ ||

Comment by विजय मिश्र on August 17, 2013 at 12:12pm
इतने अपराधियों के चंगुल से मुक्त करा इस लुढकते हुए भारतीय मुद्रा को पुनः इसके गरिमा पर पुनर्स्थापित करना एक दिवास्वप्न प्रतीत होता है . इस यथार्थ का बोध कराती सुंदर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद नूतनजी .
Comment by Sumit Naithani on August 17, 2013 at 9:55am

sunder ati sunder... :)

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on August 16, 2013 at 8:43pm

आदरणीय महिमा जी, D P Mathur जी, नीरज मिश्रा  जी ... आप को सादर धन्यवाद ... और प्रार्थना है की भले ही स्वतंत्रता दिवस की यह रात हो आई है.. पर  सही मायने में स्वंत्रता का सूरज उदयमान हो जिसकी कभी सांझ न  हो, देश में खुशहाली हो प्रगति हो, नैतिकता हो और सुरक्षा हो .. सादर 

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on August 16, 2013 at 8:43pm

Aadarniy annupama Bajpai ji, Giriraaj Bhandari ji, Aman kumar ji.. tah e dil se aapkaa shukriya ... 

Comment by aman kumar on August 16, 2013 at 8:58am

 लौट आये देश में खुशहाली

जिसके लिए मिटाना होगा व्यभिचार, भ्रष्टाचार

कालाबाजारी|   

आप की रचना अच्छी दिशा मे है ,

पर मुझे लगता है शुरुआत हमे अपने से करनी होंगी ........न गलत करे , न होने दे ....

आभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 16, 2013 at 5:08am

अर्थ व्यवस्था पर अच्छी सामयिक रचना ! बधाई !!

Comment by annapurna bajpai on August 15, 2013 at 10:27pm

आदरणीया नूतन जी बहुत ही सुंदर भावों के साथ समसामयिक प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार ।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
22 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
23 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service