For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पावस के कुछ दोहे-

तुम तक ले आईं हमें,पकड़ पकड़ कर हाथ
सुधियाँ तो चलतीं गयीं, पुरवाई के साथ.

मैं हूँ तट का बांसवन,तू नादिया की धार
तूफ़ानों ने कर दिए,मिलने के आसार.

सुधियों के उपवन खिले,उस पर बरसा मेह
फागुन फागुन मन हुआ,सावन सावन देह.

पावस में ऐसे मदन,अकुलाता है प्राण
इंद्रधनुष पर साधता,है बूँदों के बाण.

इत पानी का बुलबुला,उत पानी की बूँद
पानी पानी हो गये,दोनों आँखें मूँद.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1041

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 9, 2017 at 9:07am
बहुत सुंदर दोहे।हार्दिक बधाई आ. भाई राजेश जी।
Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 9:22pm

बहुत मनोहारी दोहे  , बधाई राजेश जी 

Comment by vijay nikore on August 18, 2013 at 12:05pm

बहुत मनोहारी दोहे लिखे हैं आपने, आदरणीय। बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 2:25pm

आदरणीय राजेश शर्माजी, अपरिहार्य कारणों से आज आपकी प्रस्तुति पर आ पा हा हूँ. और, भाईजी, मुग्ध हूँ. हृदय से बधाई कह रहा हूँ. 

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 8, 2013 at 11:17am

बहुत खूबसूरत मनमोहक दोहे कहे हैं आदरणीय राजेश शर्मा जी..

पाँचों दोहे एक से बढ़ कर एक हैं.

हार्दिक बधाई 

सादर.

Comment by राजेश शर्मा on August 7, 2013 at 9:42pm

सभी आदरणीय ,श्री जवाहर लाल सिंह जी,आशीष नैथानी सलिल जी,अभिनव अरुण जी,जीतेन्द्र गीत जी,बृजेश नीरज जी,महीमा श्री जी,राणा प्रताप सिंह जी,डी पी माथुर जी,सभी का बहुत-बहुत आभार .आपकीसब की प्रशंसा से मन पुलकित हैं ,काश! सब
महानुभावों का आभार अलग अलग मानता .विलंब के लिए मुझे क्षमा करें .आशा है इसी प्रकार मेरा उत्साह वर्धन करते रहेंगे,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 7, 2013 at 7:21pm

बहुत ही सुंदर! सादर बधाई!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 5, 2013 at 9:41pm

सुधियों के उपवन खिले,उस पर बरसा मेह
फागुन फागुन मन हुआ,सावन सावन देह.

वाह वाह बढ़िया दोहे आदरणीय !!!

Comment by Abhinav Arun on August 5, 2013 at 5:35am

वाह वाह पावस के सुन्दर हरे भरे रूप सम , भावपूर्ण मनोरम दोहे , आदरणीय श्री राजेश जी , आप प्रकट हुए ..बहुत बहुत स्वागत ...

पावस में ऐसे मदन,अकुलाता है प्राण
इंद्रधनुष पर साधता,है बूँदों के बाण.

खूबसूरत शब्द चित्र !!

लिखते और शेयर करते रहिये ... ताकि हम सब आपकी  ऐसी ही मधुर रचनाओं का आस्वादन कर आनंदित होते रहे !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2013 at 7:27pm

आदरणीय राजेश जी, बहुत ही सहज सुंदर दोहावली, हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service