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दूर गगन के टिम-टिम तारें

दूर गगन के टिम-टिम तारें,
लुक छिप कर सब करें इशारे।
धरती पर क्षण भंगुर जीवन,
जैसे निश में जुगुनू हारे।।

स्वार्थी मानव लोभ सताए,
दम्भ ज्ञान से मन बहलाए।
अहं द्वेष माया के बन्धन,
जैसे मृग कश्तूरी धारे।।1


देश-गॉंव की बातें करके,
जाति-धर्म को आड़े करके।
स्वार्थ फलित विष तन में बोते,
जैसे राजनीति भिनसारे।।2


भव सागर में कश्ती सारी,
तूफां संग बवन्डर भारी।
उमड़-घुमड़ कर सॉंझ सबेरे,
जैसे वर्षा-सूखा मारे।।3

प्रेम भरा जीवन सुखदायी,
भक्ति-शक्ति दृढ़ता बरदायी।
तुलसी सूर कथा सत्कारी,
जैसे गंगा पाप उतारे।।4


लाभ-हानि संग सृ-िष्ट रानी,
नित नूतन रस लय में पानी,
रात्रि सघन सूरज अजियारा,
जैसे वृक्ष सदा फल वारे।।5


के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 11, 2014 at 1:38pm

आदरणीय केवल जी ..भाव प्रवण इस रचना के लिए तहे दिल बधाई .स्वार्थी मानव लोभ सताए, यहाँ मुझे गेयता में थोड़ी बाधा लगी ..इस रचना को गुनगुनाने में खूब लुत्फ़ मिला ..तहे दिल बधाई के साथ सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 11, 2014 at 11:41am

प्रेम भरा जीवन सुखदायी,
भक्ति-शक्ति दृढ़ता बरदायी।
तुलसी सूर कथा सत्कारी,
जैसे गंगा पाप उतारे।।4

सुन्दर भाव युक्त रचना .....केवल जी बधाई
भ्रमर ५

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 9, 2014 at 12:00pm

आदरणीय प्रसाद जी
अच्छी कविता है बहुत बहुत मुबारकबाद

देश-गॉंव की बातें करके,
जाति-धर्म को आड़े करके।
स्वार्थ फलित विष तन में बोते,
जैसे राजनीति भिनसारे।।2

Comment by Meena Pathak on May 8, 2014 at 7:57pm

बहुत सुन्दर .. बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 7, 2014 at 12:08pm

एक भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2014 at 9:58pm

विभिन्न भावों से युक्त सामायिक रचना 

देश-गॉंव की बातें करके,
जाति-धर्म को आड़े करके।
स्वार्थ फलित विष तन में बोते,
जैसे राजनीति भिनसारे।  ...सादर!

Comment by coontee mukerji on May 5, 2014 at 2:12pm

दूर गगन के टिम-टिम तारें,
लुक छिप कर सब करें इशारे।
धरती पर क्षण भंगुर जीवन,
जैसे निश में जुगुनू हारे।।.....बहुत सुंदर रचना.भाई साहब आपको हार्दिक बधाई.

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