For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी दिवस पर विशेष

           

माँ तुझको  याद  नहीं करते  तू तो धमनी  में है बहती I

तू ह्रदय नही इस काया की  रोमावली  प्रति में  है रहती I

अपने  ही पुत्रो से  सुनकर  भाषा  विदेश  की  है सहती I

पर माते ! धन्य नहीं मुख से कोई भी अपने दुःख कहती I

 

होते कुपुत्र  भी इस जग में  पर माता उन्हें  क्षमा करती I

सुंदरता  और  असुंदर  को  जैसे  धारण  करती  धरती I

जो सेवा-रत अथवा  विरक्त  वह श्रम सबका ही है हरती I 

गति से, लयसे,  मृदु भावो से, रस सरसाती मानस भरती I

 

हिन्दी है भाषा  मात्र नहीं यह  ऋतु है वाणी- सावन की I

है  देशवासियों  का गौरव अस्मिता  धरा इस पावन की I

यह राम-कृष्ण  की भाषा है  इसमें  मृदुता है भावन की I

इसकी बोली भी  है अनेक जिनमे है शक्ति लुभावन की I

 

अक्षर-अक्षर  है मंत्र  यहाँ शब्दों  से  श्लोक  छंद सजते I

कविता की धारा मध्य यहाँ रागावलि के मधु स्वर छजते I

मादल, मृदंग बंशी की  धुन कितने ही मदिर राग बजते I

तुलसी-कबीर  सूरादिक भी निज  रचना में भाषा भजते I

 

इसका मार्दव है शतदल सा  हिम शीतल है इसकी धारा I

श्रवणों में इसकी रुन-झुन से ढलमल ढलता है मधु पारा I

हिन्दी में ममता का परिमल  जननी  का वैभव है सारा I

इसकी भाषा  निर्झरिणी में  सोंधा  सा है  सौरभ प्यारा I  

 

भारत-माता के भाल-मध्य शोभित जो उस बिंदी की जय I

है  देव-नागरी  पर्णों  में  तो  पर्णों की  चिंदी की जय I

स्वर्गंगा अपनी  संस्कृत है  तो भाषा  कालिंदी  की जय I

शत-कोटि सपूतो के मुख से निर्झर बहती हिन्दी की जय I

 

हिन्दी की जय ! हिन्दी की जय !

हिन्दी की जय !हिन्दी की जय !

 

(अप्रकाशित व मौलिक )

 

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 17, 2014 at 11:25am

खुर्शीद जी

आपका आभार प्रकट करता हूँ .

Comment by khursheed khairadi on September 17, 2014 at 10:21am

आदरणीय गोपाल नारायण साहब ,सुन्दर और अनूठा गीत है ,सादर अभिनन्दन |उत्कृष्ट रचना के लिए कोटि बधाई स्वीकार करें |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 16, 2014 at 12:29pm

आदरणीय करुण जी

प्रथम तो आपको आभार  . धन्यवाद . अपरंच  चिंदी का शब्दकोष में अर्थ है - विचारणीय  या किसी  चीज  के टुकड़े . दोनों ही अर्थ यहाँ स्वीकृत हो सकते हैं  . पर आपको  अखर गये  है तो कोई वजह होगी . कृपया मार्ग दर्शन हेतु स्पष्ट करना चाहें  . आपने इतना ध्यान दिया . इस हेतु कृतज्ञ हूँ .सादर .

Comment by Santlal Karun on September 15, 2014 at 9:44pm

आदरणीय श्रीवास्तव जी ,

सात बंधों का यह राष्ट्रभाषा की महिमा गीत अनूठा है | हिन्दी से जुड़े गौरव को इसमें अच्छी तररह उभारा गया है --

"भारत-माता के भाल-मध्य शोभित जो उस बिंदी की जय I

है  देव-नागरी  पर्णों  में  तो  पर्णों की  चिंदी की जय I

स्वर्गंगा अपनी  संस्कृत है  तो भाषा  कालिंदी  की जय I

शत-कोटि सपूतो के मुख से निर्झर बहती हिन्दी की जय I"

...सहृदय साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! हाँ, क्षमापूर्वक यह कि 'चिंदी' शब्द पूरे गीत में मुझे अखर गया |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 15, 2014 at 6:22pm

अखिलेश जी

आपका शत-शत आभार i

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 15, 2014 at 3:52pm

आदरणीय गोपाल भाईजी,

हिंदी की महिमा हृदय से गाई, स्वीकार करें हार्दिक मेरी बधाई ,,,, 

उपेक्षा से कमजोर हो गई, बन के रह गई दासी।

न जाने कितने साल जिएगी, हिंदी भूखी प्यासी॥

अँग्रेजी पीकर युवा मस्त हैं, क्या है उनका इरादा।

सेवा गोरी पड़ोसन की सब, करते माँ से ज़्यादा॥

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
47 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
53 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
56 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service