For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत : तुम अब तक भूखे हो?

एक प्रयास ...नवगीत : तुम अब तक भूखे हो?

हम सबको तो मिला चबैना,
तुम अब तक भूखे हो?
बंटता खूब चुनावी चंदा,
तुम अब तक रूखे हो?

पंजा वाले, सइकल वाले,
कुछ हाथी वाले थे.
खिले फूल थे, दीवारों पर,
सब अपने वाले थे.
बटी बोतलें गली गली में,
तुम अब तक छूछे हो? 

हम सबको तो मिला चबैना,

तुम अब तक भूखे हो?

हाथों हाथ उठा दद्दा को,
कम्बल नया उढाया.
कबरे कुत्ते के मरने का,
उनने शोक जताया.
खूब बही वादों की गंगा,
तुम अब तक सूखे हो.
हम सबको तो मिला चबैना,
तुम अब तक भूखे हो?

लगे पोस्टर, फटे पोस्टर,
जात- पांत के दंगे.
भाई भतीजों में बंटवारे,
घर-घर भड़के पंगे.
हार-जीत कर, गले मिले वे, 
तुम अब तक रूठे हो?
हम सबको तो मिला चबैना,
तुम अब तक भूखे हो?
**हरिवल्लभ शर्मा दि.06.12.2014

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harivallabh sharma on December 20, 2014 at 1:22am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका कुशल मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन सतत मिलता रहे हार्दिक आभार..सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 20, 2014 at 1:20am

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी आपका कुशल मार्गदर्शन हमें सार्थकता प्रदान करता है...कुशल मीमांसा हेतु हार्दिक आभार..निश्चित ही हमें उत्तम दिशा निर्देश देकर भविष्य के लिए सचेत भी किया है, सादर नमन.

Comment by harivallabh sharma on December 20, 2014 at 1:16am

आदरणीय somesh kumar जी सार्थक प्रोत्साहित करती टीप हेतु हार्दिक आभार आपका...सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 20, 2014 at 1:14am

आदरणीय Saurabh Pandey जी हार्दिक आभार आपका अनुमोदन अति उत्साहित करता है..हार्दिक आभार कृपया अनुग्रह बनाये रखें...सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 20, 2014 at 1:12am

आदरणीया rajesh kumari जी इस अदना के प्राथमिक प्रयास पर एक सशक्त हस्ती के स्मरण कराने का आपका प्रोत्साहन स्तुत्य है...हौसला बढ़ाने हेतु आपका हार्दिक आभार..सादर..

Comment by harivallabh sharma on December 20, 2014 at 1:08am

आदरणीय Er. Ganesh jee "Bagi" जी आपकी प्रोत्साहित करती टीप से रचना धर्मिता को बल मिला ,आपका हार्दिक आभार कृपया स्नेह बनाये रखें सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 20, 2014 at 1:05am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी आपने नव गीत पर सार्थक   टीप देकर आत्मीयता दी..आपका हार्दिक आभार..अनुग्रह बनाये रखें..सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2014 at 8:04pm

आदरनीय हरि वल्लभ भाई , बहुत सुन्दर सार्थक  रचना के लिये बधाई !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2014 at 11:46am

नवगीत पर बहुत सुन्दर प्रयास है आ० हरिवल्लभ शर्मा जी। बिम्ब और प्रतीक क्योंकि नवगीत की जान माने जाते हैं तो ऐसे में "पंजा वाले", "सइकल वाले" तथा "हाथी वाले" शब्द सपाटबयानी लग रहे हैं। बहरहाल, हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by somesh kumar on December 9, 2014 at 10:25am

राजनैतिक हलचलों ,चुनावों पर सार्थक व्यंग्य कविता 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service