*नवल वर्ष है आया.
बीता वर्ष पुरातन छोडो,
क्या खोया क्या पाया.
नवल वर्ष है आया.
तन्द्रा भंग सुहाना कलरव,
मुर्गा बांग लगाता.
किरण धो रही कालिख सारी,
दिनकर द्वार बजाता.
सागर जल में नहा रश्मियाँ,
दुति चन्दन लेपेंगीं.
पौ फटते ही तिलक सिंदूरी,
सूरज भाल लगाया.
नवल वर्ष है आया.
भोर उठी आगी सुलगाती,
धुंध धुंआ संग जाती.
पीली धूप पकौड़ी तलती,
श्यामा दूध दुहाती.
किया कलेऊ लगे काम क्षण,
अपने अपने रस्ते.
किरणें मंगल गीत गा रहीं.
वन्दनवार सजाया.
नवल वर्ष है आया.
नन्हें की उम्मीद बड़ी है,
बड़े बड़े हैं वादे.
दृढ संकल्पित जुटे सभी हैं,
सबके नेक इरादे.
नए वर्ष के नव दिन अपना,
एक वृक्ष रोपेंगे.
नवल क्रांति हो पूर्ण शांति मय,
भ्रात्र धर्म अपनाया.
नवल वर्ष है आया.
**हरिवल्लभ शर्मा
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब आपका स्नेह नववर्ष की शुभ आकांक्षाएं देता हुआ ह्रदयागम्य हुआ...आभार आपका.सादर.
आदरणीय हरि वल्लभ भाई , आमीन ! ऐसा ही हो नव वर्ष ! रचना के लिये बहुत बधाइयाँ ।
आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी आपकी स्नेहिल टीप हेतु हार्दिक आभार...ईश्वर करे आने वाला वक़्त खुशियों भरा हो...सादर.
बहुत सुदर रचना और सुन्दर सन्देश भी ...काश कि आनेवाला हर पल ऐसा ही हो...
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका प्रोत्साहन हमेशा हौसला बढाता है...हार्दिक आभार आपका...स्नेह बनाये रखें सादर.
आदरणीय somesh kumar जी आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया हौसला बढाती है...स्नेह बनाये रखें सादर.
आदरणीय Hari Prakash Dubey जी आपकी स्नेहिल टीप से निश्चित ही हौसला बढ़ा है...सादर आभार आपका.
आदरणीय Shyam Narain Verma जी नव गीत पर प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार...स्नेह बनाये रखें सादर.
आदरणीय हरि वल्लभ भाई , बहुत सुन्दर वातावरण गढ़ा है आपने नव वर्ष का ! सुन्दर नवगीत के लिये बहुत बधाइयाँ ।
आशा है नवल वर्ष कुछ ऐसा ही हो आदरणीय ,सुंदर प्रस्तुति-हेतु बधाई
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