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हमको भी शौक चर्राया,
हम भी आ गए शेरों के बीच ,
अपने चूहे बिल्ली लेकर ,
उन्होंने वो हंगमा बरपाया
कि शेर शेर घबड़ाया , बोला ,
अरे ,ये कौन शेर के जंगल में चला आया |---बातों बातों में बात हो गई जनाब .....
आदरणीय खुर्शीद जी की बात से सहमत हूँ ,काफ़ी साहसी और जिगर वाली रचना है जिसके लिए बधाई तो बनती ही है
वाह वाह कहने के अलावा और कुछ नहीं कह सकता ... गजब की अदा है कहे तो ये सदा है ...सादर!
हमको भी शौक चर्राया,
हम भी आ गए शेरों के बीच ,
अपने चूहे बिल्ली लेकर ,
उन्होंने वो हंगमा बरपाया
कि शेर शेर घबड़ाया , बोला ,
अरे ,ये कौन शेर के जंगल में चला आया |
आदरणीय विजयशंकर सर ,काफ़ी साहसी और जिगर वाली रचना है |सादर अभिनन्दन |
आदरणीय विजय भाई , आज एक नये तेवर में आपकी रचना पढ़ी , ये रंग भी खूब है । बधाई आपको बहुत बहुत ॥
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