For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन सा साहित्य रचते हो ( 2 )--डॉo विजय शंकर

भरा पड़ा है साहित्य ,
ऐसा साहित्य जो,
कभी जुड़ नहीं पाया लोगों से ,
आम आदमी से , सीमित रह गया एक
अत्यंत सूक्ष्म तथाकथित उच्च सभ्रांत वर्ग में |
वेद , गीता , पुराण , भरा-बिखरा पड़ा है ज्ञान ही ज्ञान ,
मिल जाएगा , ढेरों मिल जाएगा , इनसे , उनसे ,
ऋचाओं से , श्रुतियों से , स्मृतियों से , संहिताओं से ,
बस , जुड़ नहीं पाया कभी दाल रोटी की समस्याओं से |
वह सर्वस्व है , वह यहां है , वहां है ,
अन्न अन्न के दाने दाने में है , सर्वत्र है वह ,
वह सर्वस्व है, सर्वत्र है , शास्त्रों के विधान में है,
नहीं है , तो स्वयं राजा के ज्ञान में
नहीं है , तो जन जन के संज्ञान में ,
क्या लाभ उस ज्ञान से
जो सिर्फ दिखाने , झाड़ने के लिए हो,
ओढ़ने - बिछाने के लिए न हो,
न आम जन तक पहुँच पाये ,
न सम्पूर्ण जन जीवन में उतर पाये ,
जिसके गूढ़ अर्थ हम आज भी न ढूंढ पाये ,
व्याख्या करते गए , जीवन में न उतार पाये ||

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 6:40am
आदरणीय सोमेश कुमार जी, आप द्वारा रचना के मर्म को स्वीकार करने के लिए आपका आभार है , बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 6:38am
आदरणीय राजेश कुमारी जी, आप द्वारा रचना की गहराई को स्वीकार करने के लिए आपका आभार है , बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।
Comment by somesh kumar on February 24, 2015 at 10:01pm

सुंदर विश्लेषण है साहित्य के वर्क पे ,ऐसा साहित्य से जो विद्वता के नाम पर आम आदमी से कटा पड़ा है |कोटि-कोटि बधाई इस रचना पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2015 at 8:33pm

क्या लाभ उस ज्ञान से
जो सिर्फ दिखाने , झाड़ने के लिए हो,
ओढ़ने - बिछाने के लिए न हो,
न आम जन तक पहुँच पाये ,
न सम्पूर्ण जन जीवन में उतर पाये ,
जिसके गूढ़ अर्थ हम आज भी न ढूंढ पाये ,
व्याख्या करते गए , जीवन में न उतार पाये ---बहुत गहरी पंक्तियाँ लिखी हैं 

इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय .

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2015 at 4:12am
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, आपको रचना पसंद आई , आभार, रचना के विचारों की स्वीकृति एवं रचना की प्रशस्ति हेतु आपका ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2015 at 4:09am
नमस्कार आदरणीय समर कबीर जी, आपने रचना को पसंद किया , आपका ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2015 at 4:07am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपने विचार को स्वीकृति दी , रचना को पसंद किया , आपका बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2015 at 4:05am
आदरणीय महिर्षि त्रिपाठी जी, आपने विचार को स्वीकृति दी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2015 at 4:03am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ O गोपाल नारायण जी, उत्साह वर्धन के लिए , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on February 23, 2015 at 11:28pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, सुन्दर रचना . 

क्या लाभ उस ज्ञान से
जो सिर्फ दिखाने , झाड़ने के लिए हो,
ओढ़ने - बिछाने के लिए न हो,
न आम जन तक पहुँच पाये ,
न सम्पूर्ण जन जीवन में उतर पाये ,
जिसके गूढ़ अर्थ हम आज भी न ढूंढ पाये ,
व्याख्या करते गए , जीवन में न उतार पाये ....बहुत व्यवहारिक बात कही है आपने एकदम सत्य, हार्दिक बधाई ! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service