Comment
सुंदर विश्लेषण है साहित्य के वर्क पे ,ऐसा साहित्य से जो विद्वता के नाम पर आम आदमी से कटा पड़ा है |कोटि-कोटि बधाई इस रचना पर
क्या लाभ उस ज्ञान से
जो सिर्फ दिखाने , झाड़ने के लिए हो,
ओढ़ने - बिछाने के लिए न हो,
न आम जन तक पहुँच पाये ,
न सम्पूर्ण जन जीवन में उतर पाये ,
जिसके गूढ़ अर्थ हम आज भी न ढूंढ पाये ,
व्याख्या करते गए , जीवन में न उतार पाये ---बहुत गहरी पंक्तियाँ लिखी हैं
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय .
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, सुन्दर रचना .
क्या लाभ उस ज्ञान से
जो सिर्फ दिखाने , झाड़ने के लिए हो,
ओढ़ने - बिछाने के लिए न हो,
न आम जन तक पहुँच पाये ,
न सम्पूर्ण जन जीवन में उतर पाये ,
जिसके गूढ़ अर्थ हम आज भी न ढूंढ पाये ,
व्याख्या करते गए , जीवन में न उतार पाये ....बहुत व्यवहारिक बात कही है आपने एकदम सत्य, हार्दिक बधाई ! सादर
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