For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी बेटी( तीसरी कविता)___मनोज कुमार अहसास

आज दोपहरी जब कमरे पर
पहुँचा थका थकाया सा
सबसे पहले पहुँच गया था
वहाँ कोई भी अभी नहीं था
चला के पँखा लेट रहा था
चीं चीं की आवाज़ सुनी तो
बाहर जाकर देखा मैंने
दो चिड़ियाएँ फुदक रही है
चीं चीं चीं चीं
पास गया तो उड़ जाती थी
फुदक फुदक फिर आ जाती थी
पहले कभी नहीं देखा था
आज यें पहली बार मिली है
याद तुम्हारी दिला रहीं है
मेरी बिटिया
चिड़िया सी बिटिया
तेरी बोली इन चिड़ियों में मिल सी गयी है
घुल सी गयी है
इनके आजाने पर तो
ये कमरा घर सा लगता है
जैसे तुम दोनों टहल रही हो
फुदक रही हो चीख रही हो
जैसे उड़ना सीख रही हो
अम्बर सीना तान खड़ा है
धरती पर आराम बड़ा है
दूर गगन में स्वप्न के मेले
भीड़ जुटाए हुए खड़े है
गहरा सपना पाना है तो
बहुत ऊँचाई उड़ना होगा
तुझको खुद से लड़ना होगा
लेकिन गगन में उड़ने पर भी
आपनी चीं चीं खो ना देना
घोर सफलता के आँगन में
मन की सरलता खो जाती है
स्वप्न तो मिल जाते है लेकिन
दृष्टि कड़वी हो जाती है
बहुत उचाई उड़ने पर भी
निम्न नहीं किसी को मानो
जग में एक से एक बड़ा है
धीरे धीरे सब पहचानो
मेरी बिटिया
चिड़िया सी बिटिया
फुदक फुदक कर उड़ना सीखो
चीं चीं चीं चीं
करते जाओ


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on July 6, 2015 at 11:30pm
जी सर
बहुत आभार
आप का आशीर्वाद बड़ा आधार है मेरे लिए
सदैव एक नई राह आपने दी है
मैं हिंदी की कक्षा भी ज्वाइन करूँगा
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 6, 2015 at 12:45am

एकपिता की भावनाओं को सुन्दर शब्द मिले हैं. हार्दिक बधाई मनोज अहसासजी.
हार्दिक शुभकामनाएँ


एकबात :
चिड़िया का बहुवचन चिड़ियाएँ न हो कर चिड़ियाँ होता है.

शुभेच्छाएँ

Comment by मनोज अहसास on June 19, 2015 at 6:51pm
बहुत आभार राजन जी
सादर
Comment by Rajan Sharma on June 19, 2015 at 4:09pm
बिटिया एक ऐसा शब्द जिसके ज़हन में हर् एक पिता की आँखों में उसकी बेटी की तस्वीर आजाती है फिर वो बेटी उसके आँगन में हो या सात समंदर पार........मनोज जी आपकी ये कविता वास्तव में वात्सल्य से ओत प्रोत है इसमें उस पिता की बेबसी झलकती जो अपनी बेटी के बिना अधूरा है ।तुम बेटी से दूर हो शायद यही कारण है इस सूंदर कविता का.....
Comment by मनोज अहसास on June 18, 2015 at 10:18pm
बहुत आभार आदरणीय सुनील सर जी
Comment by shree suneel on June 18, 2015 at 10:01pm
बिटिया के प्रति अगाध प्रेम, स्नेह.. नैतिक सीख देती कविता.. . एक पिता की सुन्दर सी कविता.
आदरणीय मनोज भाई, इस भावपूर्ण कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई.
Comment by मनोज अहसास on June 18, 2015 at 10:27am
बहुत आभार आदरणीय लडीवाला जी
सादर
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 18, 2015 at 10:21am

चिड़ियों के चीं चीं चीं सुन अपनी बेटी  का अहसास करना बेटी के प्रति प्रेम का परिचायक है | इस भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by मनोज अहसास on June 17, 2015 at 5:57pm
आदरणीय Shyam narain verma जी हार्दिक आभार
सादर
Comment by मनोज अहसास on June 17, 2015 at 5:52pm
आदरणीय Rajendrasinh chauhan जी
हार्दिक आभार
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service