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ग़ज़ल :- अपनी बहना के नाम एक ग़ज़ल

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन


अपनी बहना के नाम एक ग़ज़ल
मेरी चाहत का है ये चेक ग़ज़ल

पाक जज़्बात इसमें शामिल हैं
इसलिये कह रहा हूँ नेक ग़ज़ल

एक शाइर की दोनों औलादें
एक व्हाइट है इक ब्लेक ग़ज़ल

इसके जादू से कौन बच पाया
सबके दिल पर करे अटेक ग़ज़ल

ग़म के मारों को मिल रहा है सुकूँ
दर्द पर कर रही है सेक ग़ज़ल

है गुज़ारिश, "समर" सुनाओ हमें
डायरी में करो न पेक ग़ज़ल

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Samar kabeer on August 31, 2015 at 11:21pm
"जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है मुझे
मिल के सब कह रहे हैं एक ग़ज़ल"
Comment by Samar kabeer on August 31, 2015 at 11:16pm
जनाब सौरभ पांडे जी,आदाब,आपसे दाद पाकर ख़ुशी हुई,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 31, 2015 at 11:14pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 31, 2015 at 11:13pm
जनाब हर्ष महाजन जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 31, 2015 at 11:11pm
जनाब गुमनाम जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2015 at 10:49pm

क्या गज़ब काफ़िया निभाये जी !

पढ़ रहा.. बार-बार नेक ग़ज़ल !!   ....  :-))

बहुत खूब आदरणीय समर साहब.  आप इस अंदाज़ में भी छा गये ! 

बहुत खूब ! बहुत खूब !!  दाद कुबूल कीजिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 31, 2015 at 1:10am

आदरणीय समर कबीर जी, राखी पर इन अद्भुत काफियों के साथ एक शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

Comment by Harash Mahajan on August 30, 2015 at 12:39pm

छोटी बहर में सुंदर ग़ज़ल समीर जी .....दाद वसूल पाइयेगा !

Comment by gumnaam pithoragarhi on August 30, 2015 at 8:41am

वाह क्या अजब काफिये के साथ ग़ज़ल कही है वाह खूब

कृपया ध्यान दे...

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