For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नस्री नज़्म :- आओ सबका ग़म बाँटें

आओ सबका ग़म बाँटें,
गीतों से,कविताओं से,
ग़ज़लों से,नज़्मों से,
हल्का होगा मन का बोझ
अपने ऐसा करने से,
शायद कुछ परिवर्तन आए,
दिल की कली फिर मुस्काए,
गंगा जमुना का संगम हो,
कुछ तो रब्त-ए-बाहम हो,
सुनते हैं,ताक़त से क़लम की,
इन्क़िलाब आ जाता है
क्यूँ न फिर इस इन्क़िलाब की,
तैयारी में जुट जाऐं,
ये सब मिल जुल कर ही होगा,
आओ इस मक़सद को लेकर,
कोई ऐसा गीत रचें,
ऐसी नज़्म जो दिल को छू ले,
ऐसी कविता,जो रस घोले,
सब को अपनी बात लगे,
हर दिल की आवाज़ लगे,
आओ सबका ग़म बाँटें ।

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2015 at 11:50pm

नज़्म केलिए हार्दिक बधाई आदरणीय समर साहब 

Comment by Samar kabeer on December 18, 2015 at 10:36pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,रचना की सराहना हेतु आपका आभारी हूँ ।
Comment by Samar kabeer on December 18, 2015 at 10:34pm
जानब विजय निकोरे जी,आदाब,रचना की सराहना हेतु आपका आभारी हूँ ।
Comment by Samar kabeer on December 18, 2015 at 10:32pm
जनाब लक्ष्मण धामी जी,आदाब,रचना की सराहना हेतु आपका आभारी हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 16, 2015 at 11:58pm

आदरणीय समर कबीर जी बढ़िया नज़्म हुई है हार्दिक बधाई 

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 1:58pm

 //कोई ऐसा गीत रचें,
ऐसी नज़्म जो दिल को छू ले,
ऐसी कविता,जो रस घोले,
सब को अपनी बात लगे,
हर दिल की आवाज़ लगे,
आओ सबका ग़म बाँटें ।//

बहुत अच्छा खयाल है ... रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय समर जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2015 at 11:25am

शायद कुछ परिवर्तन आए,
दिल की कली फिर मुस्काए,
.....
क्यूँ न फिर इस इन्क़िलाब की,
तैयारी में जुट जाऐं,

बहुत सुन्दर समर भाई जी हार्दिक बधाई l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service