For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पदोन्नति - ( लघुकथा ) –

पदोन्नति -  ( लघुकथा )  –

"डॉ साहब, बाबूजी ठीक तो हो जायेंगे ना"!

"देखिये कुमार बाबू, ऐसे तो इन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं है मगर इनका मानसिक संतुलन बडी जल्दी जल्दी बिगडता है,उससे ब्लड प्रैसर तेज़ी से  बढ जाता है! इससे लक़वा होने की संभावना रहती है!यदि इसमें सुधार नहीं हुआ तो मानसिक रुग्णालय भेजना पडेगा"!

"आपका मतलब पागलखाने"!

"जी हॉ, वैसे इनको यह दौरे कब से आते हैं"!

"बाबूजी सरकारी विभाग में अधीक्षक थे!बहुत मेहनत और ईमानदारी से कार्य करते थे!समय के पाबंद थे!एक पैसा भी बेईमानी का लेना हराम था!शैक्षणिक योग्यता भी पूर्ण थी, इसके बाबज़ूद उनकी पदोन्नति नहीं हुई!उनसे कनिष्ठ और अयोग्य लोग पदोन्नति  पा गये थे!जब तक नौकरी में थे तो एक आशा थी कि शायद अब मिल जायेगी पदोन्नति! रिटायर होने के बाद वह उम्मीद भी खत्म हो गयी!तभी से यह दौरे शुरु हुए"!

"मगर आपके बाबूजी को पदोन्नति नहीं मिलने के पीछे मुख्य कारण क्या था"!

"डॉ साहब,सब योग्यतायें होने के बाबज़ूद बाबूजी को पदोन्नति ना मिलने के पीछे एक ही कारण था, जो वह नहीं पूरा कर पाते थे"!

"वह क्या था"!

"जी हुज़ूरी"!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 901

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 3, 2016 at 11:44am

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!

Comment by Nita Kasar on February 20, 2016 at 2:39pm
संवेदनशील लोग क्या करें जी हुज़ूराबाद उनके वश की नही बर्दाश्त कर पाना उनके बूते की बात नही ।सार्थक कथा के लिये बधाई आद०तेजवीर सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on February 19, 2016 at 8:15pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 19, 2016 at 8:14pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 19, 2016 at 8:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय पवन जैन जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 19, 2016 at 8:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला जी!

Comment by Rahila on February 18, 2016 at 1:32pm
बहुत अच्छी रचना आदरणीय तेजवीर सर जी! बहुत बधाई । सादर
Comment by Pawan Jain on February 17, 2016 at 8:50pm

जी हजूरी भी एक योग्यता है,पदोन्नति के लिये ।सब के पास नहीं होती यह कला ।और कनिष्ठ बैठ जाते हैं सिर पर ।बाखूबी चित्रित किया है।बधाई आदरणीय।

Comment by Sushil Sarna on February 17, 2016 at 8:18pm

वाह आदरणीय तेज वीर सिंह जी जो कुछ आजकल हो रहा है उसे आपने बड़ी ही ख़ूबसूरती से चित्रित किया है। आजकल तो हर मंजिल के लिए ''जी हजूरी'' का ब्रह्मास्त्र ही काम आता है। ईमानदारी अश्क बहाती है जी हजूरी मुस्कुराती है।  इस सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई सर जी। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 17, 2016 at 7:53pm
खुशामद का दस्तूर न निभाने से मानसिक प्रताड़ना कितनी असहनीय हो जाती है... यह संदेश बख़ूबी सम्प्रेषित करती रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
14 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service