For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तंत्र-मन्त्र-यंत्र--- डॉo विजय शंकर

तंत्र को नैये-नैये मंत्र मिल रहे हैं ,
सफलता और विकास के नैये-नैये
शब्दकोष रचे जा रहे हैं ,
शब्द , नैये-नैये अर्थ पा रहें हैं ,
अर्थ , पुरुषार्थ में पुरोधा बन रहे हैं।
पा लें , सब पा लें की होड़ लगी हैं ,
क्या खो रहें हैं , देख नहीं पा रहें हैं।
सत्ता , मद - यामिनी ,
सिंहासन , पद - वाहिनी ,
जब डोलता है तो ,
डोलता हुआ नहीं लगता है ,
झूला झुलाता हुआ लगता है ,
जागो , जागते रहो , कहनेवाला ,
खुद नींद में सोया-सोया लगता है।
आगे बढ़ने के नाम पर
आगे बढ़ नहीं रहे हैं ,
इधर-उधर देख रहे हैं ,
हर एक दूसरे को
अपने पीछे बता रहे हैं ,
सफलता के रास्ते कठिन हैं ,
नित नैये यंत्र मन्त्र खोजे जा रहे हैं।
हम फिर आएंगे , हम ही आएंगे ,
पूंछ रहें हैं , बता नहीं पा रहें हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 554

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2016 at 10:24pm
आदरणीय सुश्री कल्पना भट्ट जी , रचना तो साधारण सी सामयिक है , आपके दो शब्दों ने उसका मान बढ़ा दिया है। आभार एवं धन्यवाद। सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:59pm

प्यारी सी रचना है अलग अंदाज़ की |

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2016 at 10:02am
आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2016 at 10:02am
आदरणीय शिज्जु शकूर जी , आभार एवं धन्यवाद।
आपका प्रश्न , बचपन से इस प्रकार की भिन्नताएं देखते आ रहे हैं , कविता और नाटक या कहानी के संवादों में तो विशेष तौर से। कविता में भी किसी शब्द को emphasize करने के लिए ऐसा कर लेते हैं। अंग्रेजी में भी ऐसे उदाहरण मिल जाते हैं , जैसे ,soooooo sorry .
सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2016 at 9:57am
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , आभार एवं धन्यवाद। सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 8:59am
नैयै नैये ढंग की सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय विजय जी। सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 4:09pm

अच्छी रचना हुई है आ. विजय शंकर सर बधाई, पर क्या नये को नैये लिखना क्या सही है

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 25, 2016 at 7:27pm

आ० विजय सर . अनिवर्चनीय  , क्या नैय्ये नैय्ये ढंग से कही . वाह .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service