For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (मुझको अपना बना कर दगा दे गया )

ग़ज़ल (मुझको अपना बना कर दगा दे गया )

-------------------------------------------------------

(फाइलुन-- फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन)

 

कोई उल्फ़त का बहतर सिला दे गया |

मुझको अपना बनाकर दगा दे गया |

 

जो खता मैं ने की ही नहीं प्यार में

उफ़ मुझे वो उसी की सज़ा दे गया |

 

दास्ताँ मैं तबाही की कैसे कहूँ

वो मुझे प्यार का वास्ता दे गया |

 

दूर यूँ मौत से कब हुई ज़िंदगी

कोई जीने की मुझको दुआ दे गया |

 

उनका तशरीफ़ लाना ही वक़्ते नॅज़अ

इक मरीज़े वफ़ा को शिफा दे गया |

 

हश्र के रोज़ होगी मुलाक़ात अब

जाते जाते कोई आसरा दे गया |

 

एब गीरी से पहले ही तस्दीक़ वो

मुझको चुप चाप इक आइना दे गया |

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

 

 

 

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 6, 2018 at 7:34pm

जनाब बसंत कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और
हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by बसंत कुमार शर्मा on February 6, 2018 at 3:32pm

लजबाब गजल हुई है आदरणीय, वाह 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 4, 2018 at 1:29pm

मुहतरम जनाब विजय साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और
हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 4, 2018 at 1:29pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और
हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by vijay nikore on February 4, 2018 at 12:10pm

इस दिलकश गज़ल के लिए दिल से बार-बार बधाई, मेरे भाई तस्दीक़ अहमद जी।

Comment by Samar kabeer on February 4, 2018 at 10:47am

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2018 at 12:02pm

मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,ग़ज़ल पसन्द करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 3, 2018 at 11:16am

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन गज़ल।

कोई उल्फ़त का बहतर सिला दे गया |

मुझको अपना बनाकर दगा दे गया |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2018 at 8:54am

जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 8:12am
वाह... जनाब तसदीक़ अहमद खान साहिब ,
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारक़बाद कुबूल फरमाएं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
22 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service