For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||  (मुक्तमणि छंद पर आधारित गीत 'राज')

पर्वत जैसे दिन कटें ,रातें लगती भारी|  

 प्रीत रीति के  खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||

 

 अधरों पर  मुस्कान है,उर के भीतर ज्वाला|

 पीनी पड़ती सब्र की ,भीतर भीतर हाला||

बिस्तर पर जैसे बिछी,द्वी धारी कुल्हारी|

प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||

 

सरहद से आई नहीं, अबतक कोई पाती|  

जल जल आधी हो गई,इन नैनों की बाती||

चौखट पर बैठी रहूँ देखूँ बारी बारी|

प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||

 

  शीत लहर में हो गई,तन की डाली रूखी|         

उर के आँगन की लगे , तुलसी सूखी सूखी||

स्वप्न यान से भेज दो,थोड़ी धूप उधारी|   

प्रीत रीति के खेल में,ऐ साजन मैं हारी||

 

भारत माँ के फर्ज़ से, फुर्सत कभी मिले जो|

पवन परों में बांधकर,महक बदन की भेजो||  

तेरी खुशबू से हरी, होगी मन फुलवारी|

प्रीत रीति के खेल में,ऐ साजन मैं हारी||

 -----मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 6:02pm

आद, अजय गुप्ता जी ,आपको गीत पसंद आया बहुत बहुत आभार आपका .

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on February 6, 2018 at 5:54pm

वाह। वाह। उत्तम छंद रचना। पढ़ कर मन आनंदित हो गया। बहुत बहुत बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:32pm

आद० नरेन्द्र सिंह जी ,आपका बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:31pm

आद० बृजेश कुमार जी ,आपको गीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:30pm

आद० लक्ष्मण धामी भैया ,आपको गीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:30pm

आद० सुरेन्द्र सिंह भैया ,आपको ये गीत पसंद आया मेरा लेखन सार्थक हो गया .दिल से बहुत बहुत आभार आपका .

Comment by narendrasinh chauhan on February 3, 2018 at 11:10am
खुब सुन्दर रचना...
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 8:32pm

वाह आदरणीया क्या ही खूबसूरत भाव भरे हैं...सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2018 at 6:40am

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन। सुंदर विरह गीत हुआ है हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 1, 2018 at 3:55am

आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन। बेहतरीन गीत। विरहणी के दर्द और सीमा पर लड़ने वाले जवान को उद्घृतकरती। बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service