For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिश्रित दोहे -2

आसमान में चाँद का, बड़ा अजब है खेल।
भानु सँग होता नहीं, कभी चाँद का मेल।।

नैन मिलें जब नैन से, जागे मन में प्रीत।
दो पल में सदियाँ मिटें, बने हार भी जीत।।

बंजारी सी प्यास ने, व्यथित किया शृंगार।
अवगुंठन में प्रीत के, शेष रहे अँगार।।

आखों से रिसने लगा, बेआवाज़ अज़ाब।
अश्कों के सैलाब में, डूब गए सब ख्वाब।।

रिश्तों से आती नहीं, अपनेपन की गंध।
विकृत सोच ने कर दिए, दुर्गन्धित संबंध।।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 517

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 6:11pm

आखिरी दो पंक्तियाँ बेहतरीन,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सुशील सरजी।

Comment by Sushil Sarna on September 5, 2018 at 4:41pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 5, 2018 at 4:40pm

आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन को  मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 5, 2018 at 4:40pm

आदरणीय  Shyam Narain Verma जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 5, 2018 at 4:39pm


आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है। आपके द्वारा इंगिंत त्रुटि तो मैंने संशोधित कर दिया है। अब आपको ठीक लगेगा। इस हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 5, 2018 at 8:39am

आ. भाई सुशील जी, अच्छे दोहे निकाले हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on September 4, 2018 at 11:38am

जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान साहिब आदाब,

/खुब सुन्दर//

"कैसे समझाऊँ.."?

Comment by narendrasinh chauhan on September 4, 2018 at 11:29am

खुब सुन्दर

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2018 at 12:17pm

आदरणीय सुशील सरना जी  प्रणाम , सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें , सादर.

Comment by Samar kabeer on September 3, 2018 at 11:59am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छे दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

अवगुंठन में मिलन के'

'मिलन के'122--212 होना था न?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service