For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़्म      नया साल

इन दिनों पिछले साल आया था
पेड़ की टहनी पर नया पत्ता
वक्त की मार से हुआ बूढ़ा
आज आखिर वह शाख से टूटा ।

जन्मदिन हर महीने आता था
और वो और खिलखिलाता था
वो मुझे देख मुस्कुराता था
मैं उसे देख मुस्कुराता था ।

जिन दिनों वो जवान होता था
पेड़ पौधों की शान होता था
उस तरफ सबका ध्यान होता था
और वो आंगन की शान होता था ।

उसके चेहरे में ताब होता था
मुस्कुराना गुलाब होता था
और बदन पर शबाब होता था
हर जगह कामयाब होता था ।

धीरे धीरे वो फिर पड़ा पीला
क्यों हुआ ऐसा कुछ नहीं समझा
पहले तो एक दाँत ही टूटा
फिर हुआ उसका तन -बदन झूठा ।

हर कोई दिल को तोड़ जाता है
आँसुओं को निचोड़ जाता है
साथ आखिर में छोड़ जाता है
फुर्र से वक्त दौड़ जाता है ।

वक्त की नींद धीरे से टूटी
मेरी अस्मत तो वक्त ने लूटी
मैं गिरा तो मेरी जगह छूटी

फिर मेरे बाद कोंपलें फूटी ।

सूबे सिंह सुजान

रचना मौलिक व अप्रकाशित है ।

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 4, 2019 at 6:57am

पढ़ने वाले सभी मित्रों को बहुत बहुत आभार और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by सूबे सिंह सुजान on January 4, 2019 at 6:54am

बृजेश कुमार 'ब्रज', जी बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 3, 2019 at 2:51pm

वाह बहुत ही सुन्दर रचना..बधाई

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 31, 2018 at 6:00pm

समर कबीर जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

आपकी टिप्पणी सटीक है ।

Comment by Samar kabeer on December 31, 2018 at 4:06pm

जनाब सूबे सिंह सुजान जी आदाब,नववर्ष पर अच्छी नज़्म लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

उसके चेहरे में ताब होता था'

इस पंक्ति में 'ताब' शब्द स्त्रीलिंग है,देखियेगा ।

'  फिलहाल मेरे बाद कोंपलें फूटी'

ये पंक्ति लय में नहीं है,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service