For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर में किसी बुजुर्ग ने, दिया आप को नाम
नाम बड़ा अब कीजिये, करके अच्छे काम
करके अच्छे काम, बढ़े कद जिससे अपना
जग हित हो हर श्वांस, बड़ा ही देखें सपना
पद वैभव सम्मान, ख्याति हो दुनिया भर में
उत्तम जन कुलश्रेष्ठ, आप ही हों हर घर में।।

जह्र फिजा में है घुला, नगर शहर या गाँव
बाग बगीचे काट कर, खोजे मानव छाँव
खोजे मानव छाँव, भला अब कैसे पाए
जब खुद गड्ढा खोद, उसी में गिरता जाए
धुन्ध धुँआ बारूद, बहें मिल खूब हवा में
कैसे लें अब साँस, घुला जब जह्र फिजा में।।

मास्क लगाकर सब चलें, हर कोई हलकान
वायु प्रदूषण यूँ बढ़ा, मिलता नहीं निदान
मिलता नहीं निदान, श्वांस लें कैसे खुलकर
धूम धूल बारूद, हवा में उड़ती घुलकर
स्वयं करे जब धुंध-धुँआ अवशिष्ट जलाकर
हो तब हाहाकार, चलें सब मास्क लगाकर।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 19, 2019 at 12:11am

इस सुन्दर रचना के लिए बधाई, मित्र सुरेन्द्र जी।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 18, 2019 at 7:09pm

बेहतरीन कुण्डलिया और सार्थक सन्देश भी. बहु बहुत बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी!

Comment by नाथ सोनांचली on November 12, 2019 at 9:37pm

आद0 अग्रज समर कबीर जी सादर प्रणाम। रचना पर आपकी उपस्थिति का बेसब्री से इन्तिजार रहता है। आपकी प्रतिक्रिया परिष्करण के लिए बेहद सटीक होती है। आभार आपका। सादर

Comment by Samar kabeer on November 9, 2019 at 4:04pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छे कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on November 9, 2019 at 5:23am

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। आपने रचना पढ़ी और अपनी खूबसूरत प्रतिक्रिया से मुझे पुरस्कृत किया,, हृदय तल से आभार आपका।

Comment by नाथ सोनांचली on November 9, 2019 at 5:21am

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन।रचना पर आपने वक़्त दिया। और रचना अच्छी लगी,, इसके लिए हृदय तल से आभारी हूँ। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 8, 2019 at 8:13pm

आ. भाई सुरेंद्र सिह जी, उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं । हार्दिक बधाई।

Comment by PHOOL SINGH on November 8, 2019 at 12:56pm

एक बहतरीन प्रस्तुति के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service