For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहीं दिल टूटना देखा कहीं दिलदारी देखी है(१०८ )

(1222 *4 )

.

कहीं दिल टूटना देखा कहीं दिलदारी देखी है
कहीं ख़ुशियों की फुलवारी कहीं ग़म-ख़्वारी देखी है
**
नशा देखा कभी ज़र का कभी नादारी देखी है
कभी मस्ती कभी हमने मुसीबत भारी देखी है
**
कभी तल्ख़ी कभी आँसू हसद के दौर अपनों के
मरासिम को निभाते वक़्त दुनियादारी देखी है
**
अधूरे रह न जाएँ ख़्वाब बच्चों के इसी ख़ातिर
अधूरे ख़्वाब ख़ुद के रहने की लाचारी देखी है
**
ख़ुमारी में रहे हैं इश्क़ और मयकश निगाहों के
वहीं फ़ुरक़त के लम्हों की भी ख़ातिरदारी देखी है
**
हमें करने नहीं देती है क्यों परवाज़ ये दुनिया
हमारे पर कतरने की सदा तैयारी देखी है
**
सितारे आसमाँ पर किस तरह टाँके क़रीने से
गज़ब की ऐ ख़ुदा तेरी कशीदाकारी देखी है
**
बनाया आपका पैकर ख़ुदा ने है अनासिर से
अलग लेकिन सभी चेहरों की मीनाकारी देखी है
**
ख़यालों से सजाता हैं 'तुरंत' अपनी ग़ज़ल को जूँ
कभी ऐसी कहीं अल्फ़ाज़ की गुलकारी देखी है ?
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 10, 2020 at 11:52pm

आदरणीय Dayaram Methani जी , 

आपकी पसंद प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन के लिए अंतस से आभार संग नमन |

 

Comment by Dayaram Methani on June 10, 2020 at 10:06pm

नशा देखा कभी ज़र का कभी नादारी देखी है
कभी मस्ती कभी हमने मुसीबत भारी देखी है------ अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 10, 2020 at 4:06pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहेब ,आदाब , आपने नाचीज़ की जो हौसला आफ़जाई की है ,उसके लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | फुरक़त के लम्हों की ख़ातिरदारी /यह भी एक तंज़ है ,यानि जो दर्द मिलता है उसका अतिश्योक्तिपूर्ण वर्णन मात्र है | 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 10, 2020 at 11:17am

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी 'तुरंत', आदाब।

बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें। पर्वाज़ ए  तख़य्युलात कमाल है। आसमाँ पर कपड़े की मानिंद कशीदाकारी और चेहरों पर सोने चाँदी  के ज़ेवरात की तरह मीनाकारी, इस्तिआ़रा बन्दी (रूपक अर्थालंकार) का अच्छा इस्तेमाल किया है आपने।

"ख़ुमारी में रहे हैं इश्क़ और मयकश निगाहों के

वहीं फ़ुरक़त के लम्हों की भी ख़ातिरदारी देखी है" इस शेअ'र का भाव समझ नहीं आया। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंधपति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक…See More
43 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अगर ये ग़ज़ल बेकार है आदरणीय अमित जी तो कुछ सुझाव दे दीजिए आप कुछ सुझाव दे दीजिए सादर"
55 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Aazi Tamaam जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। २१२२ १२१२ २२ यूँ…"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीया सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आप कुछ सुझाव दे दीजिए आदरणीय हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी मैं पहले मुशायरे में हर बार आता था थोड़ी बहुत शायरी मैंने यहीं सीखी  लेकिन अब तरही ग़ज़ल नहीं…"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service