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‘गुनगुन करता गीत नया है’

गुनगुन करता गीत नया है,

क़दम बढ़ाता मीत नया है

*

दर्द दिखा हर ओर भरा है,

अचरज है हर पोर भरा है,

शब्दों में खामोशी जितनी,

भीतर उतना शोर भरा है।

कानों ने सुनकर उफ़ बोला,

अद्भुत और अतीत नया है।

*

काटे पग-पग जाले कितने,

और इरादे पाले कितने,

गिन पाने का धैर्य कठिन है,

पैरों में हैं छाले कितने।

कहा सभी, कुछ कह न सका,

अनुदित कर्णातीत नया है।

*

मानचित्र सी खिंची लकीरें,

लिखती हैं कैसी तकदीरें,

पढ़कर भी विश्वास न होता,

आँखों पर भी हैं जंजीरें।

भाव लेखनी लिख न सकी जो,

वह सब शब्दातीत नया है।

#

मौलिक/अप्रकाशित.

 

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 4, 2022 at 8:09pm

आदरणीय अशोक जी बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण गीत के लिए बधाई...

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 26, 2022 at 11:14pm

आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 26, 2022 at 11:13pm

आदरणीय सुशील सरना साहब सादर प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आपका. सादर

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 26, 2022 at 6:36pm

आदरणीय अशोक रक्ताले जी आदाब, उदाहरणीय गीत की रचना हुई है,

बधाई स्वीकार करें।

Comment by Sushil Sarna on September 26, 2022 at 2:03pm
वाह अनुपम अभिव्यक्ति आदरणीय अशोक रक्ताले जी । हार्दिक बधाई सर
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 24, 2022 at 8:52am

इस रचना की सभी पंक्तियाँ 16 मात्रा पर हैं लेकिन ये पंक्ति :-

 'कहा सभी, कुछ कह न सका'--14 मात्रिक है ,देखिएगा I 

सादर नमस्कार आदरणीय समर कबीर साहब. जी ! असावधानीवश मात्राएँ कम रही हैं.कृपया इंगित पंक्ति को इसतरह पढ़ें / कहा सभी,  पर कह न सका वो,/ . प्रस्तुति पर उपस्थिति और त्रुटि इंगित करने के लिए आपका हृदय से आभार.सादर

Comment by Samar kabeer on September 23, 2022 at 7:43pm

जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I

इस रचना की सभी पंक्तियाँ 16 मात्रा पर हैं लेकिन ये पंक्ति :-

 'कहा सभी, कुछ कह न सका'--14 मात्रिक है ,देखिएगा I 

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