For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंच के सामने आठ दस लोग कुर्सियों पर बैठे थे। सफेद झक कुर्ता पायजामा पहने छरहरे बदन का एक युवक मंच पर खड़ा भाषण दे रहा था, ‘आज हमारे देश को भगत सिंह के आदर्शों की जरूरत है……..।‘ भाषण खत्म होने पर संचालक ने घोषणा की, ‘थोड़ी ही देर में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारम्भ होंगे।‘

कुछ देर बाद एक युवती रंग बिरंगी वेशभूषा में मंच पर आयी और उसने एक गीत पर नृत्य आरंभ कर दिया ‘……चिकनी चमेली……’

भीड़ धीरे धीरे बढ़ने लगी थी।

सीटियां बज रही थीं।

भगत सिंह शहीद हो चुके थे। चमेली महक रही थी।

.

                                - बृजेश नीरज

 

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 5:39pm

अभी कल की ही बात है ... शंकराचार्य जी की कृति Vivekachudamani के सतसंग में हम केवल ५ लोग थे,

उसी शाम को फ़िल्मी संगीत गोष्ठी में सुना है लगभग ५०० लोग गए।

 

जब तक हम श्रेय को छोड़ कर प्रेय को अंगिकार करते रहेंगे,

वही होगा जो आपने लघु-कथा में कहा है।

 

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 31, 2013 at 4:25pm

आदर्शों की शहादत और चमेली की महक के इंगितों से समाज में व्याप्त वर्तमान दिशाहीनता को बहुत खूबसूरती से लघुकथा में व्यक्त किया है आ० बृजेश जी, हार्दिक बधाई इस लघुकथा पर.

Comment by बृजेश नीरज on March 30, 2013 at 9:42pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सत्य कहा आपने। आपका आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 30, 2013 at 9:33pm

ब्रजेश जी अफसोस होता है गुस्सा भी आता है आज हमारा देश बस नचनुओ का देश बनकर रह गया है बस भीड़ नाच पर ही जुड़ती है
इस लघु कथा पर बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on March 29, 2013 at 9:23pm

आदरणीय सौरभ जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 29, 2013 at 1:42pm

भाई बृजेश जी, इस लघुकथा पर कहना कुछ नहीं, आजकी समझ और समझ की संवेदनहीनता पर मनन करने की आवश्यकता है.

इस प्रविष्टि हेतु बहुत-बहुत बधाई.

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 11:41pm

आदरणीय राज जी आपका आभार!

Comment by राज लाली बटाला on March 25, 2013 at 11:33pm

सत्य है !! बहुत अच्छे !! Neeraj ji 

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 11:23pm

आदरणीय शुभ्रांशु जी आपका आभार!

Comment by Shubhranshu Pandey on March 25, 2013 at 10:45pm

वाह क्या बात है...ये कल्चर अब तो आम हो चुका है....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service