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तू  मुझमें  बहती  रही, लिये धरा-नभ-रंग
मैं    उन्मादी   मूढ़वत,   रहा  ढूँढता  संग

सहज हुआ अद्वैत पल,  लहर  पाट  आबद्ध
एकाकीपन साँझ का, नभ-तन-घन पर मुग्ध

होंठ पुलक जब छू रहे,   रतनारे   दृग-कोर
उसको उससे ले गयी,  हाथ पकड़ कर भोर

अंग-अंग  मोती  सजल,  मेरे तन पुखराज
आभूषण बन  छेड़ दें, मिल रुनगुन के साज

संयम त्यागा स्वार्थवश,  अब  दीखे  लाचार
उग्र  हुई  चेतावनी,  बूझ  नियति  व्यवहार

*******************************

--सौरभ

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by shashi purwar on July 1, 2013 at 3:43pm

bahut sundar dohe saurabh ji shabdo ke moti bahut lubhavne lage hardik badhai aapko


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2013 at 5:04pm

प्रस्तुत दोहा-छंद रचनाओं पर उदार प्रतिक्रिया के लिए सुधीजनों और सुधीपाठकों का हार्दिक आभार

सादर

Comment by MAHIMA SHREE on June 25, 2013 at 11:20pm

अति सुंदर दोहें .. आदरणीय सौरभ सर . शब्द जैसे माला में मोती की तरह बंधे हुए .. आकर्षित कर रहे हैं बहुत-२ बधाई आपका ..सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 25, 2013 at 10:29pm

आ0 गुरूवर सौरभ सर जी,  ...अतिसुन्दर...अद्भुत ..अप्रतिम दोहे ।  तहेदिल से हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2013 at 7:18pm

आदरणीय गुरू जी, बड़े ही गूढ़ अर्थों मे पगी पंक्तियाँ हैं साझा करने के लिये आभार .

Comment by रविकर on June 25, 2013 at 3:56pm

सुन्दर दोहे

आभार आदरणीय-

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 25, 2013 at 3:54pm

 इतने सुन्दर अन्तरंग दोहे मैंने शायद पहले कभी नही पढ़े | अंतर्मन के   

अन्तः प्रेरित सुन्दर भावो से रचित दोहे की प्रशंसा हेतु शब्द नहीं है | ढेरों बधाई

आदरणीय श्री सौरभ जी | सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 25, 2013 at 3:25pm

तू  मुझमें  बहती  रही, लिये धरा-नभ-रंग 
मैं    उन्मादी   मूढ़वत,   रहा  ढूँढता  संग

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी 

सादर 

भाव पूर्ण दोहे  . साझा करने हेतु आभार 

Comment by vijay nikore on June 25, 2013 at 10:57am

आदरणीय सौरभ भाई:

कई दिन हुए मैंने इन सुन्दर दोहों पर प्रतिकिया लिखी थी,

परन्तु वह अब यहाँ न जाने क्यूँ दिख नहीं रही। हो सकता है,

मुझसे कोई गलत बटन दब गया हो।

 

यथार्थ को स्पष्ट करते इन अप्रतिम दोहों के लिए शत-शत बधाई।

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 24, 2013 at 11:28pm

सभी सुधीजनों को हृदय की गहराइयों से धन्यवाद कह रहा हूँ.

आप सभी ने प्रस्तुति को मान दे कर मेरा उत्साह बढाया है.   सादर

कृपया ध्यान दे...

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