For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मधुर सी चांदनी है , मिला महुआ चुआ सा !

ग़ज़ल -

किसी ने यूँ  छुआ सा ,

मुझे कुछ कुछ हुआ सा |

 

मैं हर शब् हारता हूँ ,

ये जीवन है जुआ सा |

 

कसावट का  भरम था ,

नरम थी  वो रुआ सा |

 

नज़र खामोश उसकी ,

असर उसका दुआ सा |

 

कहीं कुछ टीसता है ,

कि धंसता है सुआ सा |

 

मैं हल खींचूँ अकेले ,

ले काँधे पर जुआ सा |

 

मधुर सी चांदनी है ,

मिला महुआ चुआ सा |

 

ये माँ का याद आना ,

लगे  मीठा पुआ सा |

 

              -अभिनव अरुण 

      {पुरानी डायरी से १८०८२०१३}

* सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित - अरुण 

Views: 945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 19, 2013 at 10:55pm
आदरणीय अभिनव जी बहुत बढ़िय गजल हुई है आपको बहुत बधाई ।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 19, 2013 at 9:08pm

नज़र खामोश उसकी ,

असर उसका दुआ सा |...........वाह! यह जानलेवा शेर है

आदरणीय अभिनव अरुण जी , उम्दा गजल पर दाद कुबूल कीजियेगा

 

Comment by वेदिका on August 19, 2013 at 8:33pm

बेहद खूबसूरत गजल हुयी है

बधाई आदरणीय अभिनव अरुण जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 19, 2013 at 8:14pm

छोटी बह्र में बहुत ही प्रभावी गज़ल हुई है आ० अभिनव अरुण जी 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by Abhinav Arun on August 19, 2013 at 6:26pm

शुक्रिया श्री विजय जी और श्री सुलभ जी मेरे उत्साह वर्धन का 

Comment by Abhinav Arun on August 19, 2013 at 6:25pm

मोहतरम जनाब राज़ साहिब शुक्रिया और सलाह सर आँखों पर  डायरी में ठीक कर रहा हूँ |

Comment by Abhinav Arun on August 19, 2013 at 6:24pm

आदरणीय श्री गिरिराज जी बहुत आभार आदरणीय |

Comment by विजय मिश्र on August 19, 2013 at 5:36pm
बेशक एक खास तरह की उम्दा गजल . बधाई अरुणजी
Comment by Sulabh Agnihotri on August 19, 2013 at 5:15pm

bahut sunder

Comment by राज़ नवादवी on August 19, 2013 at 4:38pm

बहुत खूब. 'नरम थी  वो रुआ सा' की जगह 'नरम था  वो रुआ सा' ज़्यादा संगत होगा. वैसे भी उर्दू साहित्य में प्रेमिका को पुल्लिंग में ही एड्रेस करते हैं. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service