For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद ही सारी रात जलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

शोहरतें पाने मचलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

हसरतों पे जीता मरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

यूँ किसी की याद में जलने का मौसम गम भरा

फिर उसी को याद करता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

                                                         

चोट खाता है मुसलसल जिन्दगी की राह में

तब सनम जैसे सँवरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

आईने से रू-ब-रू होने की हिम्मत है नहीं

हार के फिर आह भरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

इल्म है उसको गली ये जा रही है किस तरफ

जान कर उससे गुजरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

वो हकीकत जानता है कुछ न लाया साथ में

फिर भी देखो हाथ मलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

दर्द से नज़रें चुराने “दीप” वो सारे बुझा

खुद ही सारी रात जलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

संदीप कुमार पटेल “दीप”

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

 

 

Views: 693

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:13pm

यूँ किसी की याद में जलने का मौसम गम भरा

फिर उसी को याद करता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

                                                         

चोट खाता है मुसलसल जिन्दगी की राह में

तब सनम जैसे सँवरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये//

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय भाई संदीप जी // हार्दिक बधाई आपको

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 26, 2013 at 11:26pm

बेहद सुंदर गजल, दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय संदीप जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 8:59pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल 

हार्दिक बधाई आ० संदीप पटेल जी 

Comment by vijay nikore on September 25, 2013 at 7:45pm

खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय संदीप जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 25, 2013 at 2:34pm

क्या कहने मित्रवर बेहद सुन्दर ग़ज़ल खूबसूरत अशआर दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Saarthi Baidyanath on September 24, 2013 at 10:52pm

:
इल्म है उसको गली ये जा रही है किस तरफ

जान कर उससे गुजरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये....साहब ..उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक शुभकामना ..! बढ़िया शेर :)

Comment by Neeraj Neer on September 24, 2013 at 7:30pm

बहुत खूब ... सुन्दर गजल कही है .. बधाई 

Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 6:24pm
बहुत खूबसूरत गजल संदीप जी ... हार्दिक बधाई !!
Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 24, 2013 at 5:27pm

फैलता है ये समंदर सा कभी , फिर सिमटता है क्यों बूंद सा , सोचिये 

बहुत सारे सवाल छोडती है ये गज़ल बहुत बहुत बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 24, 2013 at 5:17pm

बहुत  बढ़िया गज़ल कही भाई सन्दीप जी !! बहुत बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
45 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
47 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
48 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
52 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
53 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
54 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
2 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
2 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service