For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धर्म अधर्म //कुशवाहा//

धर्म अधर्म

--------------

धर्म अधर्म

देशकाल की धुरी पर

नर्तन करता हुआ

ज्ञानियों / अज्ञानियों

की गोद में

पल पल मचलता

रंग बदलता

कुछ न कुछ कहता है

युग हो कोई

नयी बात नहीं

परोक्ष / अपरोक्ष

दिल के किसी कोने में

रावण रहता है

विष वमन

घायल तन मन

चिंतन  मनन

जन जन छलता है

न कर मन मलिन

न हो तू उदास

रख द्रढ़  विश्वास 

अत्याचारों  की

जब जब  अति होती है

हरी भरी वसुंधरा

पापों से रोती  है

होता कोई अवतार

अधर्म पर धर्म की

विजय होती है

मौलिक//अप्रकाशित//

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

8-1-2013

    

Views: 645

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on October 16, 2013 at 1:33pm

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 16, 2013 at 11:45am

आदरणीय कुशवाहा जी, बहुत दिनों बाद आपकी कोई ऐसी रचना पढ़ने को मिली है जिसको पढ़ते ही मन उछल उठता है और सीधे दिल से आवाज आती है, अरे वाह, क्या बात है, कथ्य,शिल्प,प्रवाह वाह वाह,

बहुत बहुत बधाई आदरणीय । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 15, 2013 at 11:18pm

सुंदर व सार्थक रचना अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकारें आदरणीय प्रदीप जी

Comment by MAHIMA SHREE on October 15, 2013 at 10:46pm

युग हो कोई

नयी बात नहीं

परोक्ष / अपरोक्ष

दिल के किसी कोने में

रावण रहता है

विष वमन

घायल तन मन

चिंतन  मनन

जन जन छलता है ...बहुत ही बढ़िया भावाभिव्यक्ति आदरणीया प्रदीप सर .. हार्दिक बधाई आपको

Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 8:21pm

वाह वाह... एक सार्थक अभिव्यक्ति है आदरणीय प्रदीप जी.... और निश्चित रूप से अब आवश्यकता है कि कोई अवतार आए जो आज के वातावरण से हमें मुक्ति दिला सके......

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 15, 2013 at 7:56pm

अत्याचारों  की

जब जब  अति होती है

हरी भरी वसुंधरा

पापों से रोती  है

होता कोई अवतार

अधर्म पर धर्म की

विजय होती है

हम सब इसी आशा में है हो नया अवतार, आए हमारा तारनहार! सादर श्रद्धेय कुशवाहा जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2013 at 5:47pm

आदरणीय प्रदीप भाई , बहुत सही , बहुत सुन्दर बात कही है आपने रचना के माध्यम से !!!! बहुत बधाई !!!

अत्याचारों  की

जब जब  अति होती है

हरी भरी वसुंधरा

पापों से रोती  है

होता कोई अवतार

अधर्म पर धर्म की

विजय होती है -----------  --- वाह वाह !!!!सबको इंतिज़ार है आने वाले इसी दिन का !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
6 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
8 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
8 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service