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हिंदी दिवस // कुशवाहा //

हिंदी दिवस // कुशवाहा //
----------------------------
दिन हुआ करते थे कभी अब
स्मृति कलश सजाये जाते हैं
प्रतीक रूप में चुन चुन उन्हें
नित दिवस मनाये जाते हैं
परम्परा तो स्वस्थ्य है
क्यों करें हम इनकार
इसी बहाने बनाते हम
हर दिवस को यादगार
-----------------------------
हिंदी
------------
अंग्रेजी उर्दू सौतन बनी
घर उजाड़ रही ये बहना
भारत की बिंदी है हिन्दी
देवनागरी स्वर्णिम गहना
हिंदी के गलबहियां डाले
फल फूल रही कई जबानें
हिन्दी की जड़ खुद खोद रहे
अपने ही जाने अनजाने
तुष्टि करण इतना न हो
अपना वैभव गौरव भूलें
शीश झुके सदा माँ चरणों में
हाथों से नभ को हम छू लें
सुनो हिंदी हिंदी ही हो
न हो ये हिन्दुस्तानी
अलग अलग सम्मान मिले
उर्दू हो या इंग्लिश वाणी
समग्र राष्ट्र की भाषा हिन्दी
इसका क्यों अपमान करें
भारत माँ का करते जितना
हिंदी का भी सम्मान करें
उर्दू अंग्रेजी फल फूल रहीं
बन हिन्दी की बहना
नफरत पालें फिर क्यों हम
जब संग संग हमें रहना
अलग अलग भाषा का
अलग अलग सम्मान करें
राज भाषा राष्ट्र भाषा
हिंदी पर अभिमान करें
करते जितना माँ से अपने
हिंदी से भी प्यार करो
जन जन की भाषा हो ये
राष्ट्र हित में व्यवहार करो
देव नागरी अपनाकर हम
देश का मान बढ़ाएं
एक सूत्र में जब बंधे हम
आयें सब हिंदी को अपनायें
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक / अप्रकाशित

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on September 15, 2013 at 2:39pm

बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 12:36am

अति सुंदर रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीय प्रदीप जी

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 15, 2013 at 12:01am

भारत की बिंदी है हिन्दी 
देवनागरी स्वर्णिम गहना 
हिंदी के गलबहियां डाले 
फल फूल रही कई जबानें 
हिन्दी की जड़ खुद खोद रहे 
अपने ही जाने अनजाने 

आदरणीय कुशवाहा जी बहुत अच्छी बात कही ..धोखा फरेब तो अपनों से ही ज्यादा होता है दर्द तभी होता है आइये अपने को समझाएं और क्या ....सुन्दर ..जय हिंदी जय भारत

भ्रमर ५
प्रतापगढ़


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 14, 2013 at 10:09pm

वाह आदरणीय कुशवाहा सर बेहतरीन कविता प्रवाहमय, कहन भी लाजवाब, ऐसी बढ़िया रचनायें आती रही तो हिन्दी का गौरव फिर से जवां हो उठेगा, दिली दाद कुबूल करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 14, 2013 at 9:49pm

बधाई भाईजी.. बधाई

Comment by ram shiromani pathak on September 14, 2013 at 8:56pm
बहुत सुंदर रचना आदरणीय कुसवाहा  जी ///हिन्दी दिवस  की हार्दिक बधाई !!

केवल भाषा ही नहीं ,है भारत की शान !
फहरे सारे विश्व में ,इसकी ध्वजा महान !!
Comment by बृजेश नीरज on September 14, 2013 at 8:17pm

हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा के लिए बहुत सुन्दर सन्देश दिया है आपने अपनी कविता के माध्यम से. आपको बहुत बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 14, 2013 at 1:54pm

आदरणीय कुशवाहा जी ,  हिन्दी दिवस पर हिन्दी भाषा के लिये आपने बहुत सुन्दर बात लिखी !! बहुत बधाई !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2013 at 1:47pm

हिन्दी भाषा पर रचित सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई एवं हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाए श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी 

Comment by annapurna bajpai on September 14, 2013 at 1:39pm

आदरणीय कुशवाहा जी बहुत सुंदर हिन्दी भाषा के लिए एवं हिन्दी दिवस के लिए रचना की है आपने । आपको बहुत बधाई ।

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