For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भई चंदा निकल रहा होगा

जहाँ पर्वत पिघल रहा होगा
चरागे इश्क जल रहा होगा

परिंदे लौटने लगे घर को
चढ़ा सूरज जो ढल रहा होगा

बना है आदमी क्यूँ घोड़ा ये
कोई बच्चा मचल रहा होगा

गलितयों से जो दोस्ती कर ले
वो अपने हाथ मल रहा होगा

नयन हैं तिश्नगी भरे उसके
कोई तो ख्वाब पल रहा होगा

भरे है दर्द वो मगर न कहे
उसे अपना ही छल रहा होगा

छतों पे भीड़ औरतों की है
भई चंदा निकल रहा होगा

जले जो दीप आँधियों में भी
वो गर्दिशों को खल रहा होगा  

संदीप पटेल "दीप"

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 8:32pm

परिंदे लौटने लगे घर को
चढ़ा सूरज जो ढल रहा होगा....... वाह.....

बना है आदमी क्यूँ घोड़ा ये
कोई बच्चा मचल रहा होगा........ क्या बात है....

छतों पे भीड़ औरतों की है
भई चंदा निकल रहा होगा.......... वाह करवाचौथ............. बहुत ही बढ़िया गज़ल कही है आ0 संदीप भाई...... बधाई हो आपको....

Comment by वेदिका on October 24, 2013 at 8:53am

छतों पे भीड़ औरतों की है
भई चंदा निकल रहा होगा,, वाह! इस शेअर तो करवाचौथ मना लिया| बहुत बढ़िया गज़ल काही आपने आ0 संदीप भाई!

एक बात कहना चाहती हूँ, आप कार्यकारिणी के सदस्य है| यदि आप ही गज़ल के साथ बहर संलग्न नहीं करेगे तो हमारे नए रचनाकारों को कैसे प्रेरणा मिलेगी| 

सादर !!   

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 24, 2013 at 8:33am

बधाई आदरणीय ...  बना है आदमी क्यूँ घोड़ा ये .. इसमें थोडा अटकाव प्रतीत हो रहा है.
सादर  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 10:53pm

भरे है दर्द वो मगर न कहे
उसे अपना ही छल रहा होग......वाह! यह शेर बहुत पसंद आया

बहुत बढ़िया गजल, दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय संदीप जी

Comment by बृजेश नीरज on October 23, 2013 at 10:22pm

उम्दा ग़ज़ल भाई जी! आपको बहुत बहुत बधाई!

Comment by ram shiromani pathak on October 23, 2013 at 8:30pm

आदरणीय भाई संदीप जी  बहुत ही उम्दा ग़ज़ल,हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by Meena Pathak on October 23, 2013 at 7:12pm

सुन्दर गज़ल हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० संदीप जी 

Comment by annapurna bajpai on October 23, 2013 at 6:30pm

आ0 संदीप जी सुंदर गजल बहुत बधाई आपको । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 23, 2013 at 4:17pm

आदरणीय प्रिय मित्रवर वाह दिल खुश कर दिया आपने बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हरेक शेर लाजवाब ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by विजय मिश्र on October 23, 2013 at 3:55pm
समय से सुंदर बात रखी संदीपजी , बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service