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धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में (गीत).

धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
क्रांतिकारियों ने जो बलिदान है दिया 
निज देश पे हर बात को कुर्बान कर दिया 
हम छांव में खड़े थे वो चले थे धूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
बयानबाजियों से कभी हल नहीं कोई 
उंगली उठा के दूजे पे सफल नहीं कोई 
फर्क प्रजातंत्र  में न रंक ओ भूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
देश है तो राज और ये नीति  सब सही 
कुर्सियों से प्रेम दल से प्रीति सब सही 
बिन देश कौन रह सका है रंगो-रूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
अमन परस्ती की है  पहचान हमारी 
नानक कबीर बुद्ध सी है शान हमारी
शामिल है नाम अपना ऐसे अनूप में
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
-----------------------------------------
अविनाश बागड़े....मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Arun Sri on January 21, 2014 at 11:38am

वर्तमान राजनीती के बिगड़ते स्वरुप के प्रति जायज चिंता को शब्द देती है रचना !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 21, 2014 at 10:32am

//देश है तो राज और ये नीति  सब सही
कुर्सियों से प्रेम दल से प्रीति सब सही
बिन देश कौन रह सका है रंगो-रूप में
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में//        

सुन्दर गीत रचा है आ०  अविनाश बागडे जी, बहुत बहुत बधाई।

Comment by कल्पना रामानी on January 20, 2014 at 6:44pm

सार्थक संदेश देते  हुए गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय अविनाश जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2014 at 2:17pm

आदरणीय अविनाश भाई जी बेहद सुन्दर सटीक देश को समर्पित संदेशप्रद कविता हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 18, 2014 at 10:18pm

आदरणीय अविनाश भाई,

इस खूबसूरत गीत पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥

हम छांव में खड़े  वो चले  थे धूप में // // हम छांव में खड़े थे,  चले  थे वो  धूप में  ( प्रवाह बाधित न होगी ) ... सादर 

Comment by Maheshwari Kaneri on January 18, 2014 at 8:57pm

  सुन्दर  भाव लिए सार्थक रचना..बधाई अविनाश जी...

Comment by नादिर ख़ान on January 17, 2014 at 11:40pm
अमन परस्ती की है  पहचान हमारी 
नानक कबीर बुद्ध सी है शान हमारी
शामिल है नाम अपना ऐसे अनूप में
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
सुंदर अभिव्यक्ति और उम्दा गीत के लिए आदरणीय अविनाश जी बधाई ..
Comment by AVINASH S BAGDE on January 17, 2014 at 10:21pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सादर धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 17, 2014 at 6:47pm

आदरणीय अविनाश भाई , राष्ट्र भक्ति के भाव से  ओत प्रोत गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 17, 2014 at 6:36pm

मेरे निवेदन को मान देने के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीय.

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