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दोहे-१३(प्रेम पियूष)

उनके आते ही यहाँ,खिले ह्रदय में फूल!

कोयल भी गानें लगी,पवन हुआ अनुकूल!!

मंद मंद चलने लगी,देखो प्रेम बयार!
कानों में आ कह रही,कर लो थोड़ा प्यार!!


अधरों के पट खोलकर,की है ऐसी बात !! 

शब्द शब्द में बासुँरी,फिर मधुमय बरसात!!


कह न सका जब मैं उन्हें,तुम हो मन के मीत!

शायद तब से कवि बना,लिख लिख गाता गीत!!


फिर से मै घायल हुआ,पता नहीं वह कौन!

मुझे व्यथित करके सदा,हो जाती है मौन!!


बजा बाँसुरी प्रेम की,डालो मुझमे प्राण!

पुनः मुझे जीवित करो,कब से हूँ म्रियमाण!!

***********************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 763

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 2:32pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया सरिता जी। सादर

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 2:31pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम जी। सादर
Comment by Sarita Bhatia on February 10, 2014 at 2:24pm

वाह भाई राम क्या बात है सीता के लिए  तड़प वाले सुन्दर दोहे 

Comment by Shyam Narain Verma on February 10, 2014 at 12:53pm
सुन्दर सार्थक रचना  ने लिये आपको बधाई ….

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