For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल " है नहीं अभिमान जिसमे "

जिंदगी में क्या कमी है !
हर ख़ुशी मेरी ख़ुशी है !!

है नहीं कोई हुनर तो !
जिंदगी किसकी सगी है !!

इल्म कोई है अगर तो !
नौकरी फिर आपकी है !!

आजकल फन का जमाना !
फेन बिना क्या आदमी है !!

हर कला को जानता वो !
इसलिए तो मतलबी है !!

तैरना तुम जानते हो !
साथ चल आगे नदी है !!

चाहिए क्या और मुझको !
जब खुदा में बंदगी है !!

है नहीं अभिमान मुझको !
जिंदगी में सादगी है !!

(मौलिक एवम अप्रकाशित )

** आलोक **

मथुरा

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:07am

आद. vijay nikore आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:06am

आद. Somesh जी....आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:06am

आद. gumnaam pithoragarhi जी आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:05am

आद. गिरिराज भंडारी जी.....आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:05am

आद. Dr. Vijai Shanker जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:04am

आद. मिथिलेश वामनकर जी....मेरा हौसला बढाने का आपका आभार

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 11:52pm

सुंदर गज़ल ,फन और मतलबी वाले शे'रों ने प्रभावित किया 

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:29pm

गज़ल अच्छी लगी.... बधाई

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 16, 2014 at 10:19am

सुन्दर ग़ज़ल। हार्दिक बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2014 at 9:52am

आ, आलोक भाई , बढिया गज़ल कही है , दिली बधाई स्वीकार करें ।

एक बात - जब खुदा में बन्दगी है , कहना सही है या जब खुदा की बन्दगी है , सोच लीजियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है, पूरी ग़ज़ल रवानी में है, शे'र दर…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। //इक सिलाई मशीन उस के…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज अहसास जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, ग़ज़ल अभी…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मतला अब भी प्रभावित नहीं कर रहा। बला के इलावा किसी और एंगल से सोचें।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service