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 हाँ

किसी अज्ञात यात्रा से

लोग यहाँ  आते है

कोई आता है चुपके से दुबक कर

कोई आता है सीने से चिपककर

कोई आता इन्तेजार ख़त्म करने

किसी के आने पर बजते है नगाड़े

ढोल-ताशे   

 

यहाँ आकर

फिर शुरू होती है एक नयी यात्रा

गंतव्य तक जाने की मंजिल पाने की

परिश्रम गंवाने की कुछ सुस्ताने की

जी भर रोने की मन-मैल धोने की

शांति से सोने की खुद अपने होने की

 

जो अभी यहीं है

उन्हें कही जाना है

किसी से किया हुआ वादा निभाना है

उन्हें इन्तेजार है  उस घड़ी आने की

जब कोई गाड़ी उन्हें ले जायेगी

हो सकता है वहां  जहाँ वह चाहते हों

शायद वहां भी जहाँ नहीं चाहते

 

एक् लम्बा सिलसिला है

आने-जाने वालो को

इसीलिये रहती है यहाँ एक भीड़ बड़ी

जहाँ देखो वही एक लम्बी सी लाइन खडी

मै भी खड़ा हूँ यहाँ जीवन की रेल के

छोटे प्लेटफार्म पर कभी तो आयेगी

नींद से जगाएगी मुझे ले जायेगी 

छुक-छुक रेलगाड़ी   

 

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:41am

सोमेश जी

कृतज्ञ हुआ i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:40am

मिथिलेश जी

अभिभूत हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:40am

हरि प्रकाश जी

आपके स्नेह को प्रणाम i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:39am

आ0  निकोर जी

स्नेह-वर्षा  हेतु सादर् आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:36am

विजय  सर !

उत्साहवर्धन हेतु आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:35am

सरना जी

बहुत बहुत आभार i

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 10:48pm

ज़िन्दगी का सफ़र ,जन्म की यात्रा से मृत्य की मंजिल तक ,बड़ी स्पष्टता से उस यात्रा का बयाँ करती सुंदर कविता 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 16, 2014 at 10:46pm

छोटे प्लेटफार्म पर कभी तो आयेगी

नींद से जगाएगी मुझे ले जायेगी 

छुक-छुक रेलगाड़ी   

बेहतरीन रचना ..... आदरणीय vijay nikore  सर बहुत बहुत बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 16, 2014 at 10:29pm

जो अभी यहीं है

उन्हें कही जाना है......शानदार रचना है सर हार्दिक बधाई सर !

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:45pm

//यहाँ आकर

फिर शुरू होती है एक नयी यात्रा

गंतव्य तक जाने की मंजिल पाने की//

वाह, क्या कहने। सुन्दर रचना के लिए बधाई।

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