थकन से चूर होकर , गिरे तो सो गये हम
जो चलते चलते गाफ़िल , हुये तो सो गये हम
हमारी भूख का क्या , हमारी प्यास का क्या
ये अहसासात दिल में , जगे तो सो गये हम
शनासा भी न कोई , तो अपना भी न कोई
अकेले थे अकेले , रहे तो सो गये हम
हमारी नींद सपने , सजाती ही नहीं है
हक़ीक़त से जहाँ की , डरे तो सो गये हम
मनाओ शुक्र तुम हो , गमों से दूर साथी
हमें तुम मुस्कुराते , मिले तो सो गये हम
हमारा दर्द भी क्या , हमारे ज़ख्म भी क्या
जो रोते रोते आँसू , थमे तो सो गये हम
घरों में नींद आती , नहीं क्यूं खुशनसीबों
कहीं फुटपाथ पर जा , पड़े तो सो गये हम
नहीं थकते कभी हम , करा लो काम भारी
अज़ीज़ों हाथ खाली , रहे तो सो गये हम
हमारी ज़िंदगी क्या , हमारी मौत भी क्या
जगे तो डर कज़ा का , मरे तो सो गये हम
हमारी पीठ पर दिन , हमारे पेट पर रात
कभी ये चाँद सूरज , थके तो सो गये हम
हमेशा ठोकरों में , रहे बेदर्द तेरी
ज़माने पाँव तेरे , थके तो सो गये हम
ग़मों ने जब सताया , बने हमदर्द ख़ुद ही
न कह पाये किसी से , गिले तो सो गये हम
शजर कोई नहीं , हमारी रहगुजर में
सितम ‘खुरशीद’ तेरे , सहे तो सो गये हम
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
खुर्शीद साहेब
अब भी आपको सरताज-ए-गजल गजल न कहे तो क्या कहें i हर शेर स्तब्ध करता हुआ i सादर i
आ० भाई खुर्शीद जी बेहतरीन गजल हुई है हार्दिक बधाई
aadarneey khursheed jee ..har sher umda hai ,is shaandaar ghazal ke liye aapko dher saaree badhaayee saadar
आदरणीय सौरभ सर आपका मेरी ग़ज़ल पर आना मुझे नई उर्जा प्रदान करता है ,अब यह अनुज आपसे यह आशा तो रख ही सकता है कि आप मुझे सदैव ऊर्जावान रखेंगे |हृदय तल से आभार |आशीर्वाद बनाये रखियेगा |
आदरणीय अजय शर्मा सर ,आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मुझे जोश से भर दिया है ,इस तरह की प्रतिक्रिया किसी भी कमज़ोर शायर से एक पूरा दीवान लिखवा दे |मेरी अगली ग़ज़ल का हर इक शेर आपको बतौर नज़राना पेश है |सादर आभार
आदरणीय मिथिलेश जी ,ज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया |आपकी मुहब्बत मेरी शायरी का सरमाया है |ग़ज़ल आप तक पहुँची , बस इसका लिखा जाना सार्थक हो गया |सादर आभार
आदरणीय ख़ुर्शीद भाईजी, आपने एक बार फिर हृदय को प्रसन्न कर दिया है. जिस सहजता से रदीफ़ का निर्वहन हुआ है वह भावुक कर रहा है. कई अश’आर बहुत-बहुत गहन हैं. बहुत कुछ बोलते हुए. दिल से बधाई भाई.
आदरणीय हरिप्रकाश सर ,शिज्जु शकूर सर ,रचना पर आपकी उपस्थिति सदैव उत्साह वर्धक रहती है |आप महानुभवों का मार्गदर्शन सदैव मिलता रहे |सादर आभार
आदरणीय गिरिराज सर , विजयशंकर सर , आपकी स्नेहिल सराहना ने मेरे होसलों को नए पर दिये हैं |मेरे रचनाकर्म की पतंग की डोर आप जैसे अग्रजों का आशीर्वाद ही है |साहब डोर कटने न पाए |हृदय तल से आभार |सादर
आदरणीय गुमनाम साहब , गिरीश गिर्वी साहब ,बहुत बहुत आभार |मुहब्बत बनाये रखियेगा |सादर
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