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तन्हाईयों में लौट जाएगी......

तन्हाईयों में लौट जाएगी......

किसको सदायें देते हो
कोई रूह को चुराये जाता है
यादों के खंज़र से
आज खामोशी का दामन
तार- तार हुआ जाता है
हवाओं में
साँसों की सरगोशियों का शोर है
आँखों की मुंडेरों पर
दर्द के मौसम आ बैठे है
धड़कनें ज़ंजीरों में कैद हैं
भला दिल की सदा
कौन सुन पायेगा
ये पत्थरों का शहर है
यहां दिल शीशे सा टूट जायेगा
हर मौसम का यहां
अलग मजाज़ है
हर मौसम अब यहां 
चश्मे सावन में डूब जाएगा
कोई बादे सबा अब
कोई सदा न लाएगी
तन्हाईयों से जो आयी है
तन्हाईयों में लौट जाएगी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by मिथिलेश वामनकर on April 28, 2015 at 9:31pm

आदरणीय सुशील सर, इस सुन्दर और भावपूर्ण कविता पर बहुत बहुत बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 6:05pm
कोई सदा
तन्हाईयों से जो आयी है
तन्हाईयों में लौट जाएगी
बहुत खूब, आदरणीय सुशील सरना जी , सुन्दर, बधाई, सादर।
Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 4:13pm
आदरणीय सुशील सर, भावपूर्ण कविता, सुन्दर प्रस्तुति.. बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on April 28, 2015 at 10:46am
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई 

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