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1222 /  1222  /1222 / 1222

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जमाना बाज कब आता है हमको आजमाने से

न हो जाना कहीं जख्मी कभी इसके निशाने से  

       

हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने 

कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से 

 

करे जो बात दुनिया की उसी की लोग सुनते हैं

किसी को वास्ता कैसा भला तेरे फसाने से 

 

कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का

लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से

 

शिकायत लाख तुम रखना दिलों में दोस्त तुम मेरे  

मैं दिल को जीत ही लूँगा मुहब्बत के तराने से

 

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 ( मौलिक व अप्रकाशित ) 

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 8, 2015 at 10:34am

हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने 

कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से

वाह! आ० बहुत सुन्दर गज़ल हुयी है! बधाई

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 7, 2015 at 8:27pm

कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का

लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से

वाह वाह!  क्या कहने सचिन भाई! क्या गजल कही है! ...दाद कबूल हो!

Comment by Sachin Dev on July 7, 2015 at 1:08pm

आदरणीय गिरिराज जी ....... गजल पर आपकी उपस्तिथि और आपका प्रोत्साहन पाकर बेहद प्रसन्नता हुई..... ऐसे ही स्नेह बनाए रखें हार्दिक आभार आपका ! 

Comment by Sachin Dev on July 7, 2015 at 1:07pm

आदरणीय मिथलेश वामनकर जी ....... गजल पर आपका प्रोत्साहन पाकर मन प्रसन्न हुआ हार्दिक आभार ! 

Comment by Sachin Dev on July 7, 2015 at 1:06pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय सुनील प्रसाद जी ....... आपके उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका ! 

Comment by Sachin Dev on July 7, 2015 at 1:05pm

आदरणीय, विनय कुमार सिंह जी गजल आपको पसंद आई इसके लिए दिल से आभार आपका ! 

Comment by Sachin Dev on July 7, 2015 at 1:04pm

आ. धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी , आपका हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 7, 2015 at 11:39am

आदरणीय सचिन भाई , लाजवाब गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 6, 2015 at 11:40pm
बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय सचिन जी
इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 6, 2015 at 10:08pm
लाजबाब खुबसूरत है आपकी रचना आदरणीय बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

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