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हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया (ग़ज़ल)

बह्र : २२११ २२११ २२११ २२

 

ये झूठ है अल्लाह ने इंसान बनाया

सच ये है कि आदम ने ही भगवान बनाया

 

करनी है परश्तिश तो करो उनकी जिन्होंने

जीना यहाँ धरती पे है  आसान बनाया

 

जैसे वो चुनावों में हैं जनता को बनाते

पंडे ने तुम्हें वैसे ही जजमान बनाया

 

मज़लूम कहीं घोंट न दें रब की ही गर्दन

मुल्ला ने यही सोच के शैतान बनाया

 

सब आपके हाथों में है ये भ्रम नहीं टूटे

यह सोच के हुक्काम ने मतदान बनाया

 

हर बार वो नौकर का इलेक्शन ही लड़े पर

हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया

------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 824

Comment

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 24, 2015 at 10:19am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सूर्या बाली साहब
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 24, 2015 at 10:18am
शुक्रिया आदरणीय नरेन्द्र जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 24, 2015 at 10:17am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राजेश कुमारी जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 24, 2015 at 10:17am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रवि शुक्ला जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 24, 2015 at 10:16am
शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 24, 2015 at 5:03am

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, शानदार ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

ये मिसरा प्रवाह में सहज नहीं लग रहा है-//धरती पे है जीना ज़रा आसान बनाया//

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 23, 2015 at 11:39pm

वाह वाह धर्मेंद्र भाई क्या ग़ज़ब की मंज़र कशी  करती हुई ग़ज़ल हुई है। ढेर सारी दाद कुबूल करें !

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 23, 2015 at 10:54pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी ............. खुबसूरत ग़ज़ल के लिए, बधाई 

Comment by narendrasinh chauhan on December 23, 2015 at 7:43pm

इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 23, 2015 at 7:43pm

आपकी सोच को सलाम आ० धर्मेन्द्र जी ,कहीं न कहीं सच्चाई भी छुपी है अशआरों में सब किया धरा इंसान का ही तो है जिसे चाहे आसमां पे बिठा दे जिसे धरती पे पटक दे |

बहुत- बहुत बधाई आपको 

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