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गुर (बस दो मिनट में )



दो मिनट में

नहीं लिख दी जाती
कोई कविता
जैसे नहीं बनती सब्जी
दो मिनट में बढ़िया
दो मिनट में तो
बनती है बस मैगी
जो सिर्फ पेट भरती हैं |

अपनी संतुष्टि के लिए
भले लिख दो
मिनट, दो मिनट में
कुछ भी अपने
अंतर्मन के भाव !

पर चाहिए तुम्हें यदि
सब की संतुष्टि
तो पहले उसे
कागज पर चढ़ाओ
फिर पकाओ
फिर जाके उतारो
अंगीठी से
धीरे-धीरे मध्यम आँच पर
पक जाती है कविता
कविता ही नही
कथा भी
और हाँ कहानी भी !

हर चीज की
तासीर के हिसाब से
दो उसे समय
फिर देखो
जो निकलेगी
वह होगी कोई
कविता या कहानी
जो दिलो में सबके
बस जाएगी
खाकर ऊँगली चाटने वाली कहावत
चरितार्थ कर जाएगी | सविता
"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by savitamishra on October 9, 2016 at 11:48am

दिल से अआभार आदरणीय विजय भैयाजी ...नमस्ते सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 9, 2016 at 3:10am
बहुत खूब , बधाई , आदरणीय सुश्री सविता जी , सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on October 9, 2016 at 12:22am
बेहतरीन भाव सम्प्रेषण
Comment by savitamishra on October 8, 2016 at 9:18pm

कल्पना बहन आभारी है हम आपके |

Comment by savitamishra on October 8, 2016 at 9:18pm

सुरेश भाई जी दिल से आभार आपका

Comment by savitamishra on October 8, 2016 at 9:03pm

शिज्जु भैया बहुत बहुत आभार आपका | किन्तु इस संदेश में हमने बस दो मिनट ही खर्च किए | :)

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 7:58pm

बहुत बढ़िया रचना हुई है आदरणीया सविता मिश्रा जी | बधाई स्वीकारें |

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 4, 2016 at 1:54pm
आदरणीया सविता जी बहुत ही सुन्दर, बहुत ही बढिया लिखा है आपने ।
सहज पके सो मीठा होय।
बहुत खूब।
बधाई स्वीकार करें । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 3, 2016 at 5:53pm

आ. सविता मिश्रा जी इस कविता के जरिए सार्थक संदेश दिया, वाकई दो मिनट में कभी कविता नहीं हो सकती बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए

Comment by savitamishra on October 3, 2016 at 1:37pm

आदरणीय मंडल भैया धन्यवाद आपका | _/\_सादर

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